Book Title: Pratapmuni Abhinandan Granth
Author(s): Rameshmuni
Publisher: Kesar Kastur Swadhyaya Samiti

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Page 277
________________ चतुर्य खण्ड धर्म, दर्शन एव सस्कृति राजस्थ नी रो भक्ति साहित्य | २४५ वामे वारा खुद रा वणावणा बहुत कम ही हुसी, घणकरा तो दुसरा लोगा वारा नाम सू वणाय प्रसिद्ध कर दिया। ___राजपूत कवियो मे पृथ्वीराज राठौड वहुत वडा भगत हा, भक्तमाल ने भी वारे भक्ति रो वखाण मिले, कृष्ण रुखमणिवेलि वारी सर्वश्रेष्ठ राजस्थानी रचना है। वाअसल मे भक्तिकाव्य ही है । विया पृथवीराज जी श्रीराम कृष्ण गंगा री स्तुति रा दूहा वणाया जिके में भी भक्तिरस छलक रह यो है । बांरा वणावडा कई डिंगल गीत तो बहुत ही उच्चकोटी रा है । समरपणभाव रो ऐक आच्छो उदाहरण वारो ओ डिंगल गीत है - हरिजेम हलाडो जिम हालौज, काय धणिया सूजोर कृपाल, मौली दिवो दिवो छत माथे, देवो सौ लेउ स दयाल, गैस करो भाव रलियावत, गजभावे खरचाढ गुलाम, माहरे सदा ताहरी माहव, रजा सजा सिर ऊपर राम, मुझ उमेद वड़ी ममैहण, सिन्धुर पासैकेम सर, चौतारो खर सीस चित दे, किसू पूतलिया पाण करे, तू स्वामी पृथ्वीराज ताहरौ, वलि वीजा को करे विलाग, रूडो जिको प्रताप रावलो, भूडो जिको हमीणो भाग,, चारण कवियो मे ईशरदास जी घणा प्रसिद्ध भक्तकवि हुया, वारे वणायेडो हरिरस तो भक्तारे वास्ते नित्यपाठ री पोथी बणगयो, और भी वारी घणी रचनाये मिले । हरिरस रो ऐक सुन्दर सस्करण श्री बद्रीप्रसाद जी साकरिया सूअर्थ सहित सपादन कराय म्है सार्दूल राजस्थानी रिसर्च इम्टीयूट मूंछपायो है । पृथ्वीदास ग्रथावली, ईश्वरदाम ग्रथावली और दुर्साआढा ग्रथावली री पूरी सामग्री नाकरियाजी खने घणा दर्पो सू पडी है, हाल वा काम पूरोकर भेज्यौ कोनी। दूसरा चारण भक्त कवि पीरदान लालस हुया, जिका री रचनाओ रो सग्रह पीरदान ग्रथावली रे नाम सू सपादन कर म्है इस्टीट्यूट सू प्रकाशित करवा दियो । ऐ १८ वी शताब्दी मे हुया, १६ वी शताब्दी मे कवि ओपाजी आढा भी आच्छा भक्तकवि हुया है। चारण भक्तकवि ऐक नही पचासो हुय गया है, अवार ताई घणा लोगा री आ धारणा है के चारणा रो साहित्य वाररस रो ही घणो है, पण खोज करणे सू भक्ति साहित्य भी काफी मिले हैं। राघवदास री भक्तमाल व वेरी टीका पे जिके ने म्हे सपादन करी है । घणा चारण भक्तकविया रा उल्लेख है । स्वय चारण कवि व्रमदास री वणावरी राजस्थानी मे भी एक भक्तमाल है। ऐ दौनू भक्तमाला राजस्थान 'प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान जोधपुर सू छप चुकी है । इये तरह री चारणा री भक्तमाल गुजरात वगैरह मे कई पाई जावे हैं, बा सगला ने मामने राखर चारण भक्त कविया री ऐक पूरी सूची वणार वारे रचनावारी खोज, सग्रह और प्रकाशन करणो जरूरी है । म्हारे सग्रह रे ऐक गुटके मे ऐक ही कवित्त में १० चारण भक्त कविया रा नाम हैं। ओ गुटको सवत् १७१२ रो जैन विद्वान रो लिखयोडो है । इये कारण ऐमे प्रसिद्ध १८ वी शताब्दी ताई रा १० भक्तकविया रा नाम है। ओ कवित्त नीचे दियो जा रहयो है।

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