Book Title: Pratapmuni Abhinandan Granth
Author(s): Rameshmuni
Publisher: Kesar Kastur Swadhyaya Samiti

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Page 283
________________ चतुर्थ खण्ड . धर्म, दर्शन एव सस्कृति सघ की उज्ज्वल परम्परा के प्रतीक | २५१ महान् कर्मठ संयमी सन्त ! आप श्री जी प्रखरप्रतिभा के धनी सन्त हैं । भगवान् महावीर के अहिंसा व सत्य को अपने जीवन मे उतारनेवाले तथा इन महान् सिद्धान्तो का घर-घर मे प्रचार व प्रसार करने मे आप श्री का बहुत योगदान है-समाज-सेवा और धर्म-रक्षा के निमित्त जो आप श्री जी का महत्त्वपूर्ण सहयोग समाज को मिल रहा है। वह सराहनीय है । श्रद्धेय श्री प्रतापमल जी महाराज स्थानकवासी जैन जगत के प्रकाश-स्तम्भ हैं। जिन के शुभ जीवन का लक्ष्य केवल सत्य-प्राप्ति और आध्यात्मिक विकास ही है। महान सन्त अपने वचन से नही अपितु आचरण से ही जनता को सन्मार्ग दर्शन कराया करते हैं। श्रद्धेय श्री प्रतापमल जी महाराज का महान जीवन सचमुच अहिंसा, सत्य, त्याग वा तपश्चर्या का सजीव प्रतीक है। आप श्री जी ने अपना समस्त जीवन मानवता की रक्षा और आत्मिक विकास के तत्वो की खोज मे लगाया हुआ है। देश के कर्मठ, सयमी सन्तो के आर्दशो पर आज भी मानव समाज का स्तर टिका हुआ है। मेवाडभूपण परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री प्रतापमलजी महागज जिस समाज तथा देश और धर्म को प्राप्त हो, सचमुच वो कितना भाग्यशाली समाज है । जैन समाज को खासकर ऐसे महान सत को पाकर महान गौरव का ही अनुभव होता है। आप श्री जी परोपकारी, जन-हित मे अपना सर्वस्व-समर्पण कर देने वाले नररत्न सन्त है । आप जैसे सत ससार की सर्वोत्तम विभूति हैं। अज्ञान के अन्धकार मे भटकने वाले प्राणियो के लिए दिव्य प्रकाश-पु ज हैं । सन्त आत्म-साधना मे लीन रहकर भी विश्व के महान उपकर्ता होते हैं। आप श्री जी के जीवन के ६५ वर्प और मुनि जीवन के ५१ वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। इस दीर्घकाल मे आप श्री जी ने धर्म और संघ के लिए जो कुछ किया है। उसका मूल्याकन करना सरल नही है। ऐसे सन्तो का स्मरण, स्तवन, अभिनन्दन गुणगान मानवजाति के लिए महान् मगल रूप है | आप श्री जी का यह मुनि जीवन स्वच्छ, निर्मल और उज्ज्वल एव पवित्र है। जो साधको यानि मुनि मण्डल के लिए एक पथ-पर्दशक रूप है। इस लम्वे मुनि जीवन मे आप श्री जी ने देश भर मे पैदल पद यात्रा करके मानव-जाति मे सत्य, अहिंसा, क्षमा, प्रेम का वो दीप प्रज्ज्वलित किया है। जिस की उज्ज्वल ज्योति चिरकाल तक भावी पीढियो को आलोकित करती रहेगी, और सब देशवासियो को मगलमय प्रेरणा प्रदान करती रहेगी। धर्म प्रचार-धर्म प्रचार के क्षेत्र मे भी आप श्री जी का योगदान प्रशसनीय है। विभिन्न क्षेत्रो की सार-सभाल करना, यह सब आप श्री जी की ऐसी विशेषताएं हैं-जो श्रमण सघीय साधु-मुनिराजो के लिए अनुकरणीय हैं-आप श्री जी श्रमण सघ के उत्साही सगठन प्रिय और एक महान् उत्साही, कर्मठ सत हैं । तपोमय मुनि जीवन ने मानव की मानसिक कल्पनाओ को एव आत्मिक क्षधा-पिपासा को शान्त करने के लिए समय-समय पर महान उपदेशामृत की अनुपम-अनूठी धारा बहाई है-जो प्रशसनीय हैउस के विचार मात्र से हृदय प्रमोद से भर जाता है। आप श्री जी का अध्ययन हिन्दी, गुजराती, प्राकृत एव सस्कृत मे खूब हैं-वास्तव में आप श्री जी का महान् जीवन स्थानकवासी जैन समाज के लिए धन है । हमारी हर्दिक कामना है कि मेवाडभूषण जी महाराज दीर्घ-काल तक भगवान महावीर स्वामी के महान् सिद्धान्तो का तथा जैन धर्म का प्रचार करते रहें । श्रद्धय पूज्य गुरुवर जी श्री प्रतापमल जी महाराज के महान सद्गुणो का कहाँ तक वर्णन करूं? मेरी तुच्छ लेखनी मे इतना बल ही कहा है जो इस महान आत्मा के दिव्य गुणो का चित्रण कर सके! फिर भी श्रद्धावश इस महान ज्योति पुज-रत्न के प्रति कुछ भाव अपनी और से लिख पाया हू-आप जी

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