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द्वितीय खण्ड अभिनन्दन शुभकामनाए वन्दनाञ्जलिया { ११७ पूर्णे चन्द्रयुते सुपूणिमतियो ससारमुक्तव्यथित ।
श्री मन्नन्दसुलाल ज्ञान गुरुणा दीक्षाविधौ दीक्षित ॥५॥ विक्रम सन् १९७६ मासोतम मास मृगशिर मास मे शुक्ल पक्ष मे पूर्ण चन्द्रमा से युक्त पूर्णिमा तिथि के दिन संसार से मुक्ति चाहते हुए श्रीमान ज्ञान गुरु महाराज श्री नन्दलालजी के द्वारा दीक्षा प्राप्त करली।
सत्ताहित्य सदागमादिक सदाभ्यासेन सत्पण्डित । सच्छास्त्र मुमहत् परिश्रमतया निष्णातवान् ज्ञानवान् ।। स्वात्मज्ञान युतोऽपि शिक्षणविधी प्राप्त प्रसिद्धि पराम् ।
कर्मास्यस्य मुबन्धनस्य कपणे ज्ञानोपदेशे शुभाम् ।।६।। दीक्षा लेने के बाद आपने सत् साहित्य तथा आगम शास्त्रो का अभ्यास किया और उत्तम शास्त्रो के चिन्तन मे महान परिश्रम करके निष्णात हो गये तपा ज्ञानवान् और पण्डित हो गये । आत्मज्ञान प्राप्त करने पर भी शिक्षा प्रदान करने मे तथा कर्म वन्धनो को क्षीण करने के निमित्त ज्ञानोपदेश करने मे वडी प्रतिष्ठा प्राप्त की।
व्याख्याने सु च मेघमन्द्र गिरया माधुर्यभाव गत । लोको मन्त्र सुमुग्ध भावगमितो वक्तृत्ववैशिष्ठ्यत ।। चित्ते साधु सुभावनिप्ठसरल व्यापारवृत्या युत ।
जात्यादौ विषमादि भेद रहितो नैसर्गिको निष्ठित ॥७॥ महाराज श्री के व्याख्यानो मे मेघ के समान गभीर कण्ठध्वनि, मधुरता का भाव और वक्तृत्व शैली की विशिष्टता के कारण सब लोग मन्त्र-मुग्ध के समान हो जाते हैं। उनके चित्त मे साधु स्वभाव एव सरलता की वृत्ति सदा विराजमान रहती है । वे जाति आदि ऊंच नीच के भेद भाव को त्याग कर स्वाभाविक मानवोचित निप्ता मे लीन रहते हैं।
कीतिस्तस्य विशालता गतवती कारुण्यभावान्विता । मान प्य सफल च तस्य समभूत् साद्गुण्य सपत्तित ॥ लोकानामुपकार कार्य करणात् पुण्याने यत्नवान् ।
धर्मास्यापि समृद्धि सिद्धि सहितो जीयात्समा शास्वतम् ।।८॥ उन महाराज श्री की कीर्ति वहुत बढ गई। वे करुणा के भाव से भरे हुए हैं। उन्होने सद्गुणो की सपत्ति को प्राप्तकर इस मानव जीवन को सफल कर लिया है । वे ससार का उपकार करने के कारण सदा पुण्यो के उपार्जन मे प्रयत्न करते रहते हैं । इस प्रकार धर्म की समृद्धि एव सिद्धि से युक्त होकर वे सदा शाश्वत समय पर्यन्त जीवित रहें, यही कामना है।
चन्द्रोदयमुनेरेषा भावना पद्य पुष्पिता ।
प्रताप कोति मालेय लोकश्रेयस्करी भवेत् ।।६।। उदयचन्द्र मुनि की यह भावना पद्यो के पुप्पो से युक्त होकर श्रीमान् प्रतापमलजी महाराज सा० की कीर्ति की माला बनाई गई है अत यह ससार का कल्याण करने वाली होवे। 6 .