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संयममय जीवन
___ आज हम जिधर भी दृष्टि डालते हैं । उधर भौतिकवाद का बोलवाला है। सभ्य समाज के प्रत्येक नर-नारी भौतिक सुख-सुविधा मे और फैशन मे अधिकाधिक मदोन्मत्त बनते जा रहे हैं। सयमी नहीं, असयमी एव मर्यादित नहीं अमर्यादित जीवन विताना अधिक पसन्द कर रहे हैं । ऐसा क्यो ? यह दोष आध्यात्मिकवाद का नहीं अपितु भौतिकवाद का रहा है। जिसने आहारविचार और आचार मे बहुविध विकृतियां पैदा की है। वस्तुत. आहार की विकृति से विचार विकृत हुए और विचारो की विकृति से मानव का सदाचार (सयम) भी फलकित होना स्वाभाविक है। इसी वातावरण को दृष्टिगत रखकर गुरु प्रवर ने "सयम ही जीवन है" प्रवचन फरमाया है जो प्रत्येक मुमुक्षु के लिए प्रेरणामओ का स्रोत रहा है।
-सपादक प्यारे सज्जनो!
आज के इस विराट् विश्व की वाटिका में करीब-करीव तीन-चार अरव जितनी जनसख्या निवास कर रही है। जिसमे चीन प्रथम श्रेणी में, हिन्द द्वितीय, तृतीय श्रेणी मे रसिया और क्रमश फिर अन्य देशो का नम्वर आता है ।
आज हिन्द की लगभग ५५ करोड जितनी जनसख्या मानी जाती है । फलस्वरूप प्रत्येक देश की बढती हुई जन-आवादी को देखकर आज केवल हिन्द को ही नहीं, अपितु प्रत्येक राष्ट्र को भय-सा प्रतीत हो रहा है। सभी के समक्ष आज एक प्रकार की जटिल समस्या और एक गम्भीर प्रश्न आ खडा है। वह ममस्या इस प्रकार है कि वढती हुई प्रजा को कहां विठाएंगें ? क्या खिलाएंगे ? क्या पिलाएंगे और क्या पहनाएंगे? आदि-अहर्निश उपरोक्त प्रश्न प्रत्येक राष्ट्र को वेचन सा बना रहे हैं ।
अभी-अभी थोड़े वर्षों पूर्व काग्रेस-कान्झन्म का अधिवेशन नागपुर मे हुआ था। जिसमे बढती हुई जनसंख्या के प्रश्न पर भी कुछ विचार-विमर्श किया गया था कि इस जनवृद्धि के लिए हमे भविष्य मे क्या करना चाहिए । विशाल रग-मच पर कितनेक वक्ताओ के इस समस्या सम्बन्धित भापण भी हुए थे। किसी-किमी का अभिमत यह था कि-जन्मते ही बालक-बालिकाओ को क्यो न काल के गाल मे डाल दिया जाय और किसी के उद्गार यह थे कि-वैदेशिक-औपधि-इ जेक्शनो का उपयोग किया जाय ताकि किसी की उत्पत्ति ही न हो और मदा के लिए वृद्धि का मार्ग ही अवरुद्ध हो जाय । आज भी कतिपय नमें अनेको गांवो मे घूमती है और औपधियो का प्रयोग करने का स्त्री समाज मे जोर-शोर से प्रचार कर रही है।
___ अब विद्वद् समाज ही पैनी बुद्धि और शात मन-मस्तिष्क मे नोचे कि क्या उपर्युक्त उपाय मानव-जीवन को लाभ और गाति सतोपदायक है ? 'न भूतो न भविष्यति !" अर्थात् कदापि नहीं ।