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५६ | मुनि श्री प्रताप अभिनन्दन ग्रन्थ
आजना मगलमय प्रभाते महाराज श्री ना मागलिक श्रवण वाद आपणे आस-पास नूतन वर्पाभिनन्दन करशु । आ न वर्ष आपणा श्री सघमा खूब आनन्द अने मगलकारी नीवडे अने श्री सघमा सगठन तथा परस्पर सद्भावना, एकता खूब फलो-फूलो तेवी आपणी परम कृपालु परमात्मा पासे आजना आ शुभ दिने प्रार्थना छ ।
हू → श्री सघनो सेवक
कान जी पानाचन्द प्रमुख-श्री कलकत्ता जै० श्वे० स्था० (गुजराती) सघ (भाइ वीज) ता० ८-११-५३ रविवार
श्री लक्ष्मीपत सिंह दुगड हाल, श्री जैन भवन कलाकार स्ट्रीट मे एक विशाल स्नेह-सम्मेलन हुआ, जिसमे उक्त मुनियो एव साध्वी श्री जी मृगावती जी म० आदि वक्ताओ के भाषण हुए। आज सभा के अध्ययक्ष सेठ सोहनलाल जी दुगड थे ।
इसी दिन मध्यान्ह मे राय साहब लाला टेकचन्द जी के सुपुत्र लाला अमृत लाल जी की अध्यक्षता मे पजावी भाइयो का एक स्नेह-सम्मेलन हुआ। उसमे उक्त मुनिवरो ने सगठन विपय पर प्रवचन किए । फलस्वरूप महावीर जैन सभा की स्थापना हुई।
लोकाशाह-जयन्ति महोत्सव - ता० १८ तथा १६ नवम्बर को पण्डित मुनिवर प्रतापमल जी महाराज व पण्डित मुनिवर हीगलाल जी महाराज के तत्त्वावधान मे "लोकाशाह जयन्ति" मनाने का आयोजन किया गया। सभापति पद पर क्रमश १८ व १६ को श्री सोहनलाल जी दुग्गड तथा पश्चिमी वगाल के स्वायत्त शासन मत्री श्री ईश्वरदास जी जालान ने ग्रहण किये। ता० १६ को १००८ सामायिको का आयोजन किया गया था। इस दिन विशाल जन-समूह के समक्ष मुनिवरो के ओजस्वी भापण हुए । तत्पश्चात श्री जालान ने अहिंसा पर अपने विचार प्रकट किये तथा जैन मुनियो के त्यागमय जीवन पर श्रद्धा व्यक्त करते हुए देश और समाज की उन्नति के लिये आवश्यकता प्रकट की। इस अवसर पर आपने अहिसा एव त्याग पर बहुत ही जोर दिया।
राज्यपाल भवन मे पादार्पणता० ५-१२-५३ को २॥ वजे पण्डित मुनिवर श्री प्रतापमल जी म० व पण्डित मुनिवर हीरा लाल जी म० आदि मुनिगण राज्यपाल श्री एच० सी० मुखर्जी के आमन्त्रण पर राज्यपाल भवन पधारे । मुनिवगे के आगमन से राज्यपाल महोदय अत्यन्त प्रसन्न हुए एव वहाँ उपस्थित अन्य सज्जन जैन मुनियो को चर्या को जानकर अत्यधिक प्रभावित हुए। वहा पर शान्ति पाठ किया गया जिसमे सभी उपस्थित मज्जनों ने भाग लिया। तदनन्तर मंगल सूत्र के बाद मुनिवर वापिस लौट आये। इस अवसर पर राज्यपाल को निर्ग्रन्थ-प्रवचन व जैन साधु आदि ग्रन्य भेंट किये गये।
दिवाकर-चरमोत्सवता० १३-१२-५३ को जस्टिस रमाप्रसाद मुखर्जी के सभापतित्व में प्रसिद्धवक्ता जैन दिवाकर श्री चौयमल जी महाराज को निधन तिथि मनाई गयी जिसमे मुनिवरो के मुनि-जीवन व लोक