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१४ | मुनिश्री प्रताप अभिनन्दन ग्रन्थ
जादू, मन्त्र और ऐमी कौन सी विशेषता आपने प्राप्त करली है जिसके कारण साम्प्रदायिक तत्त्व भी पीठ पीछे मुग्धमन से आप को तारीफ किया करते हैं ?
___गुरुदेव ने प्रत्युत्तर मे कहा-विरोधी दल पीठ पीछे तारीफ क्यो करते है ? वह कारण इस प्रकार हैं-सुनिये-मालवरत्न पूज्य गुरुप्रवर श्री कस्तूरचन्द जी महाराज द्वारा मुझे अनुपम सुधा भरी शिक्षा प्राप्त हुई है। फलस्वत्प विरोधी धारा के बीच कैसे रहना उनके समक्ष कार्य करते हुए स्वकीयपक्ष को मजबूत कैसे करना? विरोधी पक्ष के दिल-दिमाग को किस तरह जीतना? कार्यकुशलता-सावधानी बरतते हुए आगे कैसे बढना ? तथा उनका कहना है कि प्रताप मुनि | मैं तुम्हें विरोधी दल-बल के सामने बार-बार चातुर्मास की आज्ञा प्रदान कर रहा हूँ। इसका मतलव यह कदापि नही कि-तुम उनके साथ साम्प्रदायिक सघर्प-द्वन्द्व लेकर यहां आओ। इसलिए भेज रहा हूँ—तुम जहाँ कही पर भी, किसी धर्म सभा मे वोल रहे हो तुम्हारे बोलने से कदापि वहां कपायवृत्ति की वढोतरी न होने पावे । विरोधी विचार धारा को खण्डन एव मिथ्याक्षेप एव व्यर्थ के वाद-विवाद से कभी भी जीता नही जाता है। उन्हें जीतना ही है तो स्नेह-समता सहिष्णुता एव मण्डनात्मक शैली के माध्यम से जीता जाता है।"
गुरु प्रदत्त इन अनुपम शिक्षाओ को मैंने यथाशक्ति अन्तरग जीवन में उतारा है। बम, यही बादू और यही विशेष मन्त्र मेरे पाम रहा हुआ है । भली प्रकार यह मैं जानता हूँ कि यह दुनिया न किसी की बनी और न बनने वाली है । फिर मैं चन्द दिनो के लिए समाज मे क्यो विद्वप-क्लेश के कारण खडा कलें । उसी की बदोलत मैंने विरोधी पक्ष को अपना बनाया है।
मुमुक्ष -महाराज | वास्तव मे आपने जो फरमाया है यह ठीक है। आपका माधुर्य भरा व्यवहार ही आपके लिए प्रस्याति का कारण एव विरोधीपक्ष के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है । यही कारण है कि आपका नाम सुनकर माम्प्रदायिक तत्त्व भी श्रद्धा से नतमस्तक हो जाते हैं।
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