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प्रथम खण्ड दिल्ली का दिव्य चातुर्मास | ४५ तत्पश्चात् उभय सघो के भागीरथ सत्प्रयत्नो से गुरुप्रवर श्री प्रतापमल जी म० शास्त्रवारिधि पडितवर्य श्री हीरालाल जी म० एव आ० श्री सूर्य सागर जी म० के 'श्री हीरालाल हायर सेकेन्डरी स्कूल' मे हजारो जन मेदिनी के समक्ष सम्मिलित व्याख्यान हुए। जिससे जैन धर्म की महती प्रभावना हुई।
इस वर्ष तेरापथ सप्रदाय के आचार्य तुलसी का भी दिल्ली मे ही चातुर्मास था । जनता मे साम्प्रदायिक भेद-भावनाये जागृत हो उठी थी। गुरुप्रवर आदि मुनिवरो ने बहुत बुद्धिमानी तथा विवेक के साथ स्थिति को सभाला, जिससे कोई अनिष्ट घटना न हुई। शान्ति के साथ चातुर्मास सम्पूर्ण होना आप की सूझ पूर्ण तथा व्यावहारिक बुद्धि का ही परिणाम था ।
विविध कार्यक्रम इस वर्ष दशलक्षणी (पर्यु पण) पर्व वडे ही ठाट-बाट के साथ मनाया गया । वयोकि—दोनो (दिगम्बर और स्थानकवासी) मुनियो के छ स्थानो पर सम्मिलित भापण हुए। वस्तुत जनता तथा समाज पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा । तथा जैनमात्र एक है, ऐसा अनुभव कर सभी प्रसन्न हुए ।
विश्व-मंत्री दिवस दशलक्षणीपर्व के उपरान्त ही क्षमापना के दिन समस्त जैन समाजो की ओर से काका कालेलकर की अध्यक्षता में एक विश्व मैत्री दिवस मनाने का आयोजन किया गया। इस विशाल महत्त्वपूर्ण आयोजन मे गुरुप्रवर श्री प्रतापमल जी म०, प० श्री हीरालाल जी म० एव आचार्य श्री तुलसी भी सम्मिलित थे जिसमे हजारो जनता की उपस्थिति थी।
विश्व कल्याण-जपोत्सव सात अक्टूबर रविवार को बारहदरी मे एक विश्व-कल्याण जपोत्सव मनाया गया। उसका उद्घाटन ससद के डिप्टी स्पीकर श्री अनन्तशयन आयगर ने किया था। इस उत्सव मे आचार्य सय सागर जी म०, गुरुप्रवर श्री प्रतापमल जी म० प० रत्न श्री हीरालाल जी म०, प्रसिद्ध साहित्यिका जैनेन्द्र जी तथा अक्षयकुमार जी एव नगर के अन्य गण्य मान्य अनेकानेक सज्जन उपस्थित थे।
. इस प्रकार मुनित्रय के नाना विपयो पर पीयूपवी प्रवचन होते रहे । हजारो नर नारी इस प्रकार के अपूर्व उत्सवो को देख-भाल कर अपने को धन्य मानते थे। अन्य और भी वात्सत्यपूर्ण धर्म प्रचारार्थ किये गये आयोजनो से इस वर्ष का यह वर्षावास आशातीत सफल रहा । जिसका विन्तत विवरण एक स्वतन्त्र पुस्तिका के रूप मे अन्यत्र प्रकाशित हो चुका है। . सफल चातुर्मास पूर्ण होने के पश्चात् मुनिमण्डल का चादनी चौक से प्रस्थान हआ। श्रद्धेय श्री हीरालाल जी म० अपनी शिष्य मण्डली को लेकर पजाव की ओर ५६ारे और गुरु प्रवर श्री को कुछ दिनो तक दिल्ली के उप नगरो मे ही रुकना पडा । कारण कि आप के सान्निध्य में ६ दिसम्बर ५१ को टाऊन हाल मे श्री जैन दिवाकर प० रत्न श्री चीथमल जी महाराज के अवसान दिवस पर सर्द धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया था । जिसका सफल नेतृत्व हमारे चरित्रनायक जी ने ही किया। इस सम्मेलन मे समस्त धर्मों के समन्वय का सराहनीय प्रयत्न किया गया तथा विभिन्न धर्मानुयायी विद्वानो के सार गभित भापण हुए। भारतीय विद्वानो के साथ-साथ सम्मेलन मे कुछ विदेशी विद्वान भी सम्मिलित थे ।