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प्रस्तुत प्रश्न
उत्तर- यह तो परिवारके उसके प्रति विश्वासक ऊपर निर्भर है। जितना विश्वास उतना अधिकार ।
प्रश्न--किन्तु, क्या वह स्वयं एतदर्थ अपना अधिकार समझकर उसके लिए परिवारपर ज़ोर नहीं डाल सकता?
उत्तर-नैतिक जोर डाल सकता है। प्रश्न-नैतिक मसलन किस प्रकार ?
उत्तर-'नैतिक से मतलब व उपाय जिनमें दूसरोंकी अनिच्छाको अपनी वेदनाके जोरसे मुलायम करके जीता जाता है। अपनी लगन और प्रेमकी तकलीफके जोरसे दूसरेके मतका परिवर्तन किया जाता है। इसमें लिहाज या विश्वास आ जाता है।
प्रश्न-क्या परिवारमें किसी व्यक्तिको अपनी प्रतिभाके अनुसार स्वयं अपने कार्यका निर्णय करनेका अधिकार होगा?
उत्तर-क्यों नहीं? प्रश्न--किन्तु, इस बारेमें परिवारकी संयुक्त सम्मति व्यक्तिकी रायसे ऊपर क्यों न मानी जाय? क्या परिवारको यह हक नहीं कि वह उस व्यक्तिकी समर्पित शक्तिका अपने मतानुसार उपयोग करे?
उत्तर-ऊपरके उदाहरणमें उस प्रतिभाशाली व्यक्तिकी शक्ति परिवारके प्रति समर्पित नहीं हो रही है, तभी तो प्रश्न सम्भव बना है । समर्पित हो, तब परिवार उससे लाभ उठायेगा ही।
प्रश्न--परिवारके प्रत्येक व्यक्तिकी शक्तियाँ तो परिवारके प्रति समर्पित पहले ही समझी जानी चाहिए। इसलिए पूछना यह है कि वह अमुक काम करे और अमुक नहीं,--क्या अपनी आवश्यकतानुसार ऐसा आदेश करनेका अधिकार परिवारको रहना चाहिए कि नहीं? अथवा व्यक्ति ही इस बातका निर्णायक रहेगा कि वह कौन-सा कार्य करनेके लिए अधिक उपयुक्त है और किसकी परिवारको सबसे अधिक आवश्यकता है ?
उत्तर-परिवार-गतसे अगर कोई बड़ी प्रेरणा व्यक्तिसे कुछ और कराये, तो परिवार उसे कैसे रोक सकता है ?