Book Title: Prastut Prashna Author(s): Jainendrakumar Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya View full book textPage 257
________________ व्यक्ति, मार्ग और मोक्ष २४१ अनंतके प्रति रह रहकर जो उद्भावना होती है, वही कलाकी प्रेरणा है। और उसके व्यक्त फलको कला-वस्तु कहा जाता है। प्रश्न-क्या जीवनमें उसका होना आवश्यक है ? उत्तर-आवश्यकसे भी अधिक है, अनिवार्य है । लेकिन 'आर्ट' शब्द पर होनेवाली बहस आदि बड़े सहज भावसे अनावश्यक हैं।Page Navigation
1 ... 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264