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ऐतिहासिक भौतिकवाद
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उत्तर-यह तो बहुत बड़ा सवाल है और जितना यह बड़ा है उतना ही छोटा उसका उत्तर होना उचित है । मैं यों कहूँगा___ संपूर्णताको परमात्मा कहो । उसका अज्ञेय भाग सत्य है । प्राप्त सत्य अहिंसा है । मानव चूंकि अपूर्ण है, इससे उसका सामाजिक धर्म अहिंसा ही है। ___ ऊपरके शब्दोंमें अहिंसा-सम्बंधी मेरी पूरी स्थिति आ जाती है । पर क्यों कि अहिंसा बड़ी चीज है, इससे छोटी बातोंमें हमें ओझल हो जानेकी आवश्यकता नहीं है । हिंसा रोकना है तो उसके स्थूल रूपसे ही आरंभ करना होगा। और यहाँ अहिंसा धर्मका प्रतिपादन भी तो अभिप्राय नहीं है ।
प्रश्न-तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि मानव-समाजकी विषमता तथा उसके असंतोषको यथासंभव कम करनेका एक मात्र उपाय अहिंसक वृत्ति है । जब तक यह न हो तब तक अन्य कोई प्रयत्न सफल नहीं हो सकता। यही न? ।
उत्तर-बेशक मैं इसे स्वीकार करता हूँ।