Book Title: Prastut Prashna
Author(s): Jainendrakumar
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 234
________________ २१८ प्रस्तुत प्रश्न होनेके कारण उसमें ‘फेथ' बननेकी सामर्थ्य कम है जो हमारे भीतर तककी जड़ोंको भिगो दे और हमें बदल दे। उससे काफी प्रेरणा-शक्ति नहीं मिल पाती। प्रश्न-अगर वह 'फेथ' नहीं है तो इसका तात्पर्य क्या यही है कि मार्क्सवादी मानवोचित गुणोंकी ओर अवश्य उपेक्षा करेगा? उत्तर-बुद्धिकी ओर उसमें इतना झुकाव है कि आचरणकी आर कम ध्यान रहने की सम्भावना हो जाती है । 'फेथ' से यही आशय है कि वह हमारे पूरे व्यक्तित्वमे समा जाता है; न मन, न बुद्धि, न कर्म उसके प्रभावसे बच सकते हैं । 'वाद' में 'वाद' होने के कारण अर्थात् संतुलनकी ( =Dispassionकी) बजाय विचाराधिक्य होने के कारण इस प्रकारकी अक्षमता सहज पैदा हो जाती है। पर जो कुछ किया जाता है वह पूरे व्यक्तित्वके जोरसे किया जाता है कि नहीं ? इसलिए 'वाद' नाकाफी होता है। 'वाद'को घना होकर और अपनी रूक्षता खोकर स्नेहके मेलसे धर्म बन जाना चाहिए जिसका अवकाश माविसममें नहीं है। . प्रश्न-तो फिर मार्क्स, लेनिन तथा अन्य मार्क्सवादी जो 'फेथ' में विश्वास न रखते थे, किस शक्तिके सहारे अपने कार्यमें इतने सफल हुए ? मार्क्सने मार्क्सवादकी परिभाषा इतनी सफलतापूर्वक की कि करोड़ों लोग उसके समर्थक वन गये और एक विशाल राष्ट्र लेनिनके नेतृत्त्वमें क्रान्ति कर गया । इस सफलताका कारण क्या हो सकता है ? उत्तर-कुछ काल तक असंतुष्ट बुद्धिवादी यूरोपके लोगोंकी समाजवादमें श्रद्धा जैसी भावना हो गई थी, लेनिनने उसीसे लाभ उठाया । श्रद्धा 'जैसी' भावना ऊपर कहा गया है । 'जैसी से आशय है कि स्यात् वह अविकृत श्रद्धा नहीं थी। उसके कलेवरमें असंतोष अधिक था, निर्विकल्प संकल्प-मात्र ही नहीं था। उसमें कटुताका बल था । अगरेजीका जो शब्द है 'रिएक्शन', उस शब्दको मैं इसी अर्थमें समझता हूँ। विधायक संकल्पकी जगह जहाँ असंतोषकी शक्तिकी प्रधानता है, जहाँ गर्मीमें प्रकाशका संयोग नहीं है, वहाँ मूल प्रेरणामें प्रतिक्रिया है । यूरोप मार्क्ससे तीन-चार सदी पहलेसे मानसिक स्तरपर वाद-विवादग्रस्त था । जीवनकी कीमतें बदल रही थीं। विज्ञानके प्रवेशसे जीवनका मूल आधार खिसकता मालूम होता था । उद्योग बढ़तीपर था। एक ओर विस्तारविजयकी भौतिक भूख, दूसरी ओर उन महद् उद्योगोंके नीचे पिसते हुए

Loading...

Page Navigation
1 ... 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264