Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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जन्म-तिथि:
तिलोयपण्णत्ति के अनुसार भ. पार्श्वनाथ का जन्म पौषकृष्णा एकादशी के विशाखा नक्षत्र में हुआ था 30 किन्तु उत्तरपुराण में पौष कृष्णा एकादशी के दिन अनिलयोग में जन्मोत्पत्ति बताई है।31 रइधू ने नक्षत्र के नाम का तो उल्लेख नहीं किया, किन्तु उस नक्षत्र को शुभ माना है। पद्मपुराण में भी जन्म नक्षत्र विशाखा ही लिखित है।33 नामकरण :
भ. पाश्वनाथ के नामकरण के सम्बन्ध में उत्तर पुराण3 4 , पासणाह चरि उ 35, पार्श्वपुराण36 आदि में यह उल्लेख मिलता है कि जन्माभिषेक के पश्चात् इन्द्र ने ही बालक का "पार्श्व" ऐसा नाम रखा। आवश्यक नियुक्ति में उल्लेख है कि जब पार्श्व वामा देवी के गर्भ में थे तब वामा देवी ने पार्श्व (बाजू) में एक काला सर्प देखा अत: बालक का नाम "पार्श्व' रखा गया।37 दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थकार आवश्यक नियुक्ति का नामकरण के सम्बन्ध में अनुसरण करते हैं। भ, पार्श्व के शरीर का वर्ण :
भ, पार्श्वनाथ किस वर्ण के थे उन पर विद्वानों में मतभेद पाये जाते हैं।
भ, पार्श्वनाथ "हरित' वर्ण के थे, ऐसा तिलोयपण्णत्ति में उल्लेख आया है। उत्तरपुराण' के अनुसार उनके शरीर की कान्ति धान के छोटे पौधे के समान हरे रंग की थी39 पद्मपुराण40 और पङमचरिउ41 से भी इस बात की
30 तिलोयपण्णत्तो 4/543 31 उत्तरपुराण पवं 73/90 32 पास. (रइधू) 2/5 33 पद्मपुराणे विंशतितमं पर्व श्लोक 59 पृ. 427 34 उत्तरपुराण, पर्व 73,92 35 रइ - पासणाहचरिउ 2/14 36 पाचपुराण : भूधरदास 6/126 37 आवश्यक नियुक्ति 1091 38 तिलोयपण्णत्ती 47588 39 उत्तरपुराणम् पर्व 23 श्लोक 24 40 पद्मपुराणे विंशतितम पर्व श्लोक 64/पृ. 428 41 पठमचरिय (विमलसूरिकृत) पर्व 20/श्लोक 55