Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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इन्द्र केवलज्ञान महोत्सव मनाने आया।84 इन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने सभाङ्गण (समवशरण) की रचना की। जब भगवान का
विमान भी इसपने परिकर सहित निर्वाणस्थल पर आया और उसने विक्रियाऋद्धि से मायामय शरीर बनाकर उसे सिंहासन पर विराजमान कर आष्ट प्रकार से पूजा की और नाना प्रकारके काष्ठों से चिता तैयार कर उस मायामयी शरीर को उस पर रखकर चिता प्रज्ज्वलित को
भस्म को क्षीरसागर में बहाकर वह वापिस स्वर्ग चला गया। इस प्रकार 'पासणाहचरिङ' में अतिप्राकृत तत्त्वों ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।
84 पासणाहचरिंउ 4/14
5 बही 714 36 वहीं 715