Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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हस्ति सेना : ___चतुरंग बल में हस्ति सेना को प्रमुखता दी गई है।50 'पासणाहचरिउ' में हस्ति सेना का वर्णन इस प्रकार मिलता है- मदोन्मत्त हथियों पर सवार होकर योद्धागण चल पड़े। उत्तम स्वर्ण से सुशोभित उन योद्धाओं ने कुछ भी न देखा, अरिजनों को मृत्यु का मार्ग दिखाते हुए तथा उनका सम्मर्दन करते हुए हाथियों के समूह चल पड़े, जिससे सुमेरुपर्वत पर क्षोभ आ गया 51 ___'कौटिल्य अर्थशास्त्र के अनुसार अपनी सेना के आगे चलना, नये मार्ग, निवास स्थान तथा घाट निर्माण के कार्य में सहायता देना, बाहु की तरह आगे बढ़कर शत्रु सेना को खदेड़ना, नदी आदि के जल का पता लगाने, पार काने या उतारने, विषम स्थान ( तृणों तथा झाड़ियों से ढंके स्थान और शत्रु सेना के जमघट के संकटमय शिविर) में घुसना, शत्रु शिविर में आग लगाना और अपने शिविर में लगी आग बुझाना केवल हस्ति सेना से ही विजय प्रास करना, छितराई हुई अपनी सेना का एकत्रीकरण, संघबद्ध शत्रुसेना को छिन्न-भिन्न करना, अपने को विपत्ति से बचाना, शत्रुसेना का मर्दन, भीषण आकार दिखाकर शत्रु के हृदय में भय संचार करना, अपनी सेना का महान गुपेन्ड को पकड़ना, अपनी सेना को शत्रु के हाथ से छुड़ाना, शत्रु के प्राकार, गोपुर, अट्टालक आदि का भंजन और शत्रु के कोश तथा वाहन का अपहरण; ये सब काम हस्ति सेना से ही सम्पन्न होते हैं। अश्व सेना :
अश्वसेना अपनी वेगशीलता के लिए प्रख्यात रही है। आचार्य सोमदेव के अनुसार अश्व सेना चतुङ्ग सेना का चलता-फिरता भेद है, क्योंकि अश्च चपलता एवं वेग से गमन करने वाले होते हैं।53 'पासणाहचरिड' में उत्तम घोड़ों पर सवार, हाथ में कृपाण और तलवार लिए स्वर्ण कवच पहने हुए,54 योद्धाओं का उल्लेख मिलता है, जो अश्वसेना का परिचायक है। अश्वसेना के प्रभाव को दर्शाते हुए कत्रि रइधु कहते हैं कि उत्तम घोड़ों के गमन करने के कारण (उनके
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नीतिवाक्यामृत 2212 पास. 36 कौटिलीयम् अर्थशास्तम् 10/4 नीतिवान्यामत 2217 पास. 36