Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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poleste सूणार52 (कसाई) :
Askatas
'पासणाहचरिउ' में कहा गया है कि जिस प्रकार बकरा अस्थि, वासा, अजश्रृङ्गादि वीभत्स पदार्थों से भयानक सूजार (कसाई) के घर में चिल्ला हुआ मृत्यु को प्राप्त होता है, उसी प्रकार जीव भी मृत्यु को प्राप्त होता है।
शबर :
जो जंगल में रहते थे और शिकार आदि किया करते थे, उन्हें शबर कहा जाता था। 'पद्मचरित' के 32 में पर्व में इनका शर्वरी नदी के किनारे रहने का उल्लेख मिलता है |54
धीवर :
सरोवर में जाल डालकर जीविकोपार्जन करने वाली जाति । सुरम्य देश के पोदनपुर नगर की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि वहाँ धीवर भी सरोवर में जाल नहीं डालते 155
आभूषण :
सोवण चूड (सोने के कड़े) : 'पासाणाहचरिउ' में गोपाचल नगर की सोने के कड़े से मण्डित नारियों का कथन है |56
डर (नूपुर) : नूपुर सादे या मणिजटित और मधुर झंकार करने वाले घुंघुरुओं से युक्त होते थे। इन्हें जल्दी से पहनाया उतारा जा सकता था 57 वामादेवी के चरणों में धारण किए हुए नूपुर इस प्रकार शब्द किया करते थे, मानो वे उसके आज्ञापालक किंकर ही हों 158
केडर (केयूर) : बाँहों में भुजबन्द ( अंगद या केयूर) पहनने की परम्परा स्त्री और पुरुष दोनों में थी । 'पासणाहचरिठ' में इन्द्र द्वारा बालक पार्श्व को माणिक्य केयूर धारण कराने का उल्लेख हुआ है। 59
52 पास. 3/18
53 वही 6/16
54 पद्मचरित 32/29
55 पास 6/1
56 वहीं 1/3
57 शान्तिकुमार नानूराम व्यास: रामायणकालीन संस्कृति पृ. 61
58 पास 1 10 59 वही 2/14
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