Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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"कल्पसूत्र' में दीक्षा हेतु ले जाने वाली शिविका (पाली) का नाम विशाला बताया है194, जबकि "पासणाहचरिउ" में शिविका का नामोल्लेख नहीं है।195 __"कल्पसूत्र' के अनुसार भ. पार्श्व को दीक्षा हेतु वाराणसी नगरी के मध्य से निकलते हुए आश्रमपद नामक उद्यान की ओर अशोक वृक्ष के नीचे ले जाया गया196, जबकि 'पासणाहचरिउ'' के अनुसार अहिच्छत्रानगर ले जाया गया,197 ऐसा उल्लेख है। __ "कल्पसूत्र के अनुसार भ. पाश्वं ने एक देवदृष्य वस्त्र को लेकर अनगार अवस्था को प्राप्त किया। 98, जबकि "पासणाहचरिउ" में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है।199
"कल्पसूत्र" में दीक्षातिथि पौषकृष्णा एकादशी का उल्लेख है200, जबकि पासणाहचरिठ में मात्र पौषमास की दशमी का उल्लेख है, पक्ष का नहीं?01
"कल्पसूत्र'' में भ. पाश्वं के द्वारा उपसर्ग सहने का तो उख्ख है किन्तु उपसर्गकर्ता के नाम का उल्लेख नहीं202, जबकि "पासणाहचरिउ" में उपसर्गकर्ता का नाम संवरदेव आया है।203
"कल्पसूत्र" के अनुसार भ, पार्श्वनाथ के प्रथम गणधर का नाम सुंभ है204, जबकि 'पासणाहचरिह'' के अनुसार प्रथम गणधर का नाम संभु (स्वयम्भू) है।205
"कल्पसूत्र'' के अनुसार भ. पार्श्व के आठ गणधर 2205. जबकि "पासणाहचरिड' के अनुसार उनकी संख्या दस थी 207
194 कल्पसूत्र 155 195 रइधू : पाम, 4:1-6 196 कल्पसूत्र 153 197 रइधृ पास. 4/17 198 कल्पसूत्र 153 199 ३५: पास.47 200 करन्पसूत्र 153 201 रइधू : पास. घत्ता 53 202 कल्पसूत्र 154 203 रइधू : पास. 4:7 204 कल्पसूत्र 156 205 रइधू : रास. 4:20..] 206 कल्पसूत्र 156 207 रइधू : पास. 7:26