Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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षट्त्रिंशत् - छत्तीस 1/4 षड्द्रव्य = छह द्रव्य 2/24 षटरस = छहरस4/7
षट्चत्वारिंशत् = छायालीस 4/18 घ के स्थान पर कहीं-कहीं ह मिलता है
= पाहण 4/11 पाषाण = पाहाण618 आदि मयुक्त वजन में रादि दुर्गा लालन य र ल ल हो तो उसका लोप हो जाता
पाषाण
All
पेरिय
दीव
ज्योतिषीगण = जोइसगण 2/8, 2/6,4/16 व्यवहार - वावारु
519 क्रीडा
कील 6/3 प्रेक्ष्य
पेक्ख 6/12 प्रेमानुरक्त = पेमाणरत्तु 4/3 प्रेरित
217 प्रेषित पेसिड 3/1 स्वयम्भू = सयंभु 5/34,7/1 द्वीप
5/20 दो भिन्न ध्वनियों के स्थान पर तीसरी ध्वनि का प्रयोग मिलता हैरथ = ठ स्थान = ठाण 1/1
स्थित = ठिय स्क .. ख स्कंध = खंध स्म = फ स्पर्श = फंस स्फन्द = फंद 4/17
फुडु 6/3 स्त = थ स्तुत्य = थुणिवि एक गुच्छ के स्थान पर सर्वथा दूसरे गुच्छ का प्रयोग मिलता है
घ्न = ग्घ विघ्न - विग्घ
स्पष्ट
1/1