Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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8.
9.
10.
राजा आनन्द
8.
अच्युत स्वर्ग के प्राणत विमान में इन्द्र 9.
पार्श्वनाथ
10.
11.
कथावस्तु में रधू द्वारा किए गए परिवर्तन एवं परिवर्धन
ऐतिहासिक महापुरुषों के जीवन चरित को वर्णित करते समय रचनाकार उसी मूल कथा, चाहे वह सज्जनाश्रित हो, किंवदन्ती रूप हो या ऐतिहासिक, रूप में निबद्ध करने का प्रयत्न करता है, फिर भी कथानक में आ रही विसंगतियों या नायक के दबते चरित्र को उजागर एवं गरिमायुक्त दिखाने के लिए वह अपनी नवनवोन्मेषशालिनी प्रतिभा एवं बुद्धि चातुर्य का सहारा लेकर कुछ परिवर्तन एवं परिवर्धन कथा में करता है और यही राजा है कि इससे मूल कथा का स्वरूप भी यथावत् बना रहे। महाकवि रहधू ने भी "पासणाहचरिठ" का मूल कथानक तो यद्यपि उत्तरपुराण से ही लिया है किन्तु कहीं-कहीं कुछ परिवर्तन एवं परिवर्धन कथानक को सुगम बनाने के लिए किए हैं, जो इस प्रकार हैं:
1- " उत्तरपुराण" में भ. पार्श्वनाथ के पिता एवं बनारस के राजा का नाम विश्वसेन 69 बताया गया है, जबकि 'पासणाहचरिउ " में आससेन (अवश्सेन) 70 बताया गया है।
सिंह
नारकी
महीपाल राजा
शम्बर नामक देव
68 जातः प्राङ मरुभूतिरन्विभपतिर्देवः सहस्त्रारजोविधेो ऽच्युतकल्पजः क्षितिभृतां श्री वज्रनाभिः पतिः । देवो मध्यममध्यमे नृपगुणौरानन्दमाऽऽ नतं देवेन्द्रो हतघातिसंहतिजरवत्वस्मन्स पार्श्वेश्वरः ॥ कमठ: कुक्कुटसर्पः पञ्चमधू जोऽहिरभवदध नरके । व्याधोऽद्योगः सिंहो नरकी नरपोऽनु शम्बरी दिविज : 1 उत्तरपुराण 73/169 170
2- " उत्सरपुराण" में पार्श्वनाथ की माता का नाम ब्राह्मी 71 और "पासणाहचरिउ " में वामा 72 बताया गया है।
69 उत्तरपुराण 73/75 70 पा रइधू 1/10 71 उत्तरपुराण 73/75 72 पारइश्रू 1/10
Stesteststes 76 S A)
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