Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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गया है। इन्हीं शलाका पुरुषों के अन्तर्गत तीर्थंकर भी आते हैं, अतः तीर्थकर पार्श्वनाथ के माता-पिता, जन्मस्थान, केवलान, लोप. प्रासानिका विवेचन भी 'तिलोयपण्णत्ती' में हुआ है। 'तिलोयपण्णत्ती' पर आधारित तीर्थंकर पार्श्व नाथ के चरित का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार :
तीर्थंकर पार्श्वनाथ प्राणत कल्प (14वें स्वर्ग) से चपंकर पार्श्वनाथ के भव में अवतीर्ण हुए।41 इनका जन्म वाराणसी नगरी में पिता हयसेन (अश्वसेन) और माता वर्मिला (वामा) से पौषकृष्णा एकादशी के दिन विशाखा नक्षत्र में हुआ था।42 इनके वंश का नाम उग्र वंश था।43 तीर्थकर पार्श्वनाथ बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के 84650 वर्ष बाद और चौबीसवें तीर्थंकर महावीर के 278 वर्ष पहले उत्पन्न हुए थे44 तीर्थंकर पाश्वनाथ की आयु 100 (सौ) वर्ष प्रमाण थी।45 इनका कुमार काल तीस वर्ष श्रा।46 इनके शरीर की ऊँचाई 9 हाथ प्रमाण थी
और शरीर हरित वर्ण का था? इन्होंने राज्य नहीं किया 48 इनका चिह्न सर्प था। 49 इन्हें अपने पूर्व जन्मों की स्मृति के कारण वैराग्य उत्पन्न हुआ50 उन्होंने अपने जन्मस्थान वाराणसी में ही दीक्षा धारण की।51 इन्होंने जिन दीक्षा माघ शुक्ला एकादशी के दिन पूवास में विशाखा नक्षत्र में षष्ठ भक्त के साथ अश्वस्थ वन में धारण की 52 इस प्रकार इन्होंने कुमार काल में ही तप को ग्रहण कर लिया था।53 चार माह तक इनका छदमस्थ काल रहा अर्थात् चार माह तक इन्हें केवलज्ञान उत्पन्न नहीं हुआ।54 इसके बाद चैत्र कृष्णा चतुर्थी के पूर्वाह्न काल में विशाखा नक्षत्र में सक्कपुर (शक्रपुर) नामक नगर में इन्हें केवलज्ञान उत्पत्रा
47 तिलोयपण्णत्ती : आ. यतिवृषभ, नउत्थो महाधियारो. गाथा--522 42 वही 548 43 वही 550 44 वही 576577 45 वही 582 46 वही 584 47 वही 587-588 48 वही 603 49 वही 605 50 वही 607 51 यही 643 52 वहीं 666 53 वहीं 670 54 वही 678