Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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1600
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10900
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कल्पसूत्र तिलोयपण्णती आवश्यक नियुक्ति पास. रइधू ऋषि
1600 1600 पूर्वधर
350
414 शिक्षक अवधिज्ञानी 1400
1400 केवली 10000 10000
13500 विक्रियाधारी 1100
1000
4500 विपुलमतिधारी 750
750 वादि
600 आर्यिका 38000 38000
38000 श्रावक
165000 श्राविका 300000 327000
300000 गणधर शिष्य
To मनःपर्ययज्ञानधारी व्रती
100000 वागेश्वर
800 मुक्ति को प्राप्त
1090 करने वाली स्त्रियों की संख्या भ. पार्श्वनाथ का विहार :
भ. पार्श्व ने बारह सभाओं के साथ घमोपदेश करते हुए पाँच माह कम सत्तर वर्ष तक विहार किया और अन्त में जब उनकी आयु का एक माह शेष रह गया तब वे विहार बन्द करके सम्मेदाचल के शिखर पर छत्तीस मुनियों के साथ प्रतिमायोग धारण कर विराजमान हो गये।118 भ. पार्श्वनाथ का निर्वाण :
महाकवि रइधू ने पार्श्व का निर्वाण क्षेत्र सम्मेद शिखर माना है। 13 पूर्ववर्ती एवं पश्चाद्वतीं सभी ग्रन्थकार इस विषय पर एकमत हैं। यह "सम्मेद
900
118 उत्तरपुराण 73/154-156 119 रइधू : पास. 72.3 MSResushustestastesexss s castesTesmuslexushastresses