Book Title: Parshvanath Charitra Ek Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Surendrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Atishay Kshetra Mandir
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(जैनधर्मानुयायियों का) विश्वास है और इनमें से अन्तिम पार्श्व या पार्श्वनाथ के प्रति वे विशेष श्रद्धा व्यक्त करते हैं। उनकी यह मान्यता ठीक भी है, क्योंकि अंतिम व्यक्ति पौराणिक से अधिक है। वह वस्तुत: जैनधर्म के राजवंशी संस्थापक थे जबकि उनके अनुयायी महावीर कई पीढ़ियों से उनसे छोटे थे और उन्हें मात्र सुधारक ही माना जा सकता है। गौतम (बुद्ध) के समय में ही पार्श्व द्वारा स्थापित निग्गन्थ (निर्ग्रन्थ) नाम से प्रसिद्ध धार्मिक संघ एक पूर्व संस्थापित सम्प्रदाय था और बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार उसने बौद्धधर्म के उत्थान में अनेक बाधायें डाली।144
यूनान में एक नया सम्प्रदाय 600 ई.पू. में पैदा हुआ। जो कहा जाता है कि भगवान पार्श्वनाथ के आशीर्वाद से बना। वे केवल सफेद वस्त्र धारण करते थे, अहिंसा पर विश्वास करते थे, ब्रह्मचर्य पर विश्वास करते थे, अपरिग्रह पर विश्वास करते थे, मांस भक्षण उन्होंने बन्द कर दिया था। यूनानी नाटककार ने उनके सम्बन्ध में लिखा है . "दे वर विजीटेबिल दे सुड वाथड डाउन इन द रीवर।" वे यूनानी दार्शनिक भारत आये और भारत आकर के यूनानी किंवदन्तियों के अनुसार उन्होंने भगवान पार्श्वनाथ से साक्षात्कार किया था, साक्षात्कार के बाद वह लौटकर यूनान गये और यूनान जाकर उन्होंने भगवान पार्श्वनाथ की शिक्षाओं का प्रचार किया।145 । उपर्युक्त विवेचन एवं जैनाजैन दार्शनिक विद्वानों के मतों से स्पष्ट है कि भगवान् पार्श्व जो कि जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर थे, एक ऐतिहासिक महापुरुष थे। उनके सिद्धान्तों का गौतम बुद्ध और भगवान महावीर पर व्यापक प्रभाव था जिसे बाद में उन्होंने कुछ सुधार करके जनहित और देशकाल को ध्यान में रखते हुए प्रचारित एवं प्रसारित किया था" किसी भी व्यक्ति की ऐतिहासिकता परखने की कसौटी उस समय का साहित्य ही होता है और जबकि उस समय का साहित्य लुप्त प्राय हो तो परम्परा ग्रन्थों का अनुसरण किया जाता है,'' इस आधार पर जब हम जैन साहित्य, बौद्ध साहित्य एवं देशी-विदेशी विद्वानों के शोध साहित्य का अध्ययन करते हैं तो हमें भगवान पार्श्वनाथ की ऐतिहासिकता में कोई सन्देह नहीं रह जाता।
144 Harmswarth; History of the World, Vol. II. P. 1198. 145 पाश्चज्योति (पाक्षिक) पृ. 5 वर्ष 2 अंक 11 (दि. 1 फरवरी 1987 ई.) में प्रकाशित
महामहिम श्री विश्ववष्वरनाथ पाण्डे, राज्यपाल उड़ोसा का भाषण दि. 5 10-86
(अहिच्छत्रा महोत्सव के अवसर पर) KASTESTOSTEResistastessocestastesesxesrusreSXESIAS