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जन्म- पूर्व : परिवार एवं परिस्थितियाँ | ७
है, वही इस समय प्रबल हो उठी है । सन्तति का अभाव तुम्हारे मन को अशान्त वनाये हुए है और वही तीव्र झझावात तुम्हे स्थिर नही रहने दे रहा है । लेकिन भाभी,
जसमित्र अपनी आगामी अभिव्यक्ति को नियोजित कर ही रहा था कि श्रेष्ठि- दम्पति आतुर हो उठे । सहज जिज्ञासावश वे समवेत स्वर मे प्रश्न कर बैठे - लेकिन........ यह लेकिन क्या, जसमित्र ? शीघ्र पूरी बात बताओ, तुम रुक क्यो गये ? श्रेष्ठिदम्पति की इस जिज्ञासा को शान्त करते हुए जसमित्र ने मंगल सूचना दी कि अब समस्त शुभ सकेत दृष्टिगत हो रहे है । तुम्हे यशस्वी पुत्र के माता-पिता होने का सौभाग्य शीघ्र ही प्राप्त होने वाला है । निराशा की घटाएँ विखरने वाली है, और स्वच्छ नीलाकाश मे अब शुभ आशाओ की रश्मियाँ व्याप्त होने को हैं । ऋषभदत्त, तुम्हारे लिए और भाभी के लिए अव सुख ही सुख हैकोई बिन्दु अब अभाव बन कर तुम्हारे जीवन को कष्टित नही कर पायगा । और तनिक ध्यान से सुनो भाभी, तुम्हारा पुत्र साधारण मनुष्य नही होगा भरतखण्ड को अन्तिम केवली देने का गौरव तुम्हे प्राप्त होने वाला है । मेरे वचनो मे मिथ्या का सन्देह भी मत करो और कुछ काल पश्चात् तुम्हे कुछ शुभ स्वप्नो के दर्शन होगे जो मेरे इस कथन को पुष्ट कर देगे । तुम्हे स्वप्न मे एक सिंह दिखाई देगा, जो तुम्हारे मनोरथ की सिद्धि और मेरे कथन की सत्यता का प्रतीक होगा ।
जसमित्र से इन वचनो को सुनकर श्रेष्ठि- दम्पति ने जिम हर्षातिरेक का अनुभव किया उसे शब्दो मे निवद्ध करना कठिन