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क्षपणासार विषयानुक्रमणिका
विषय
सक्रमरणकरण का प्रतिपादन
सक्रम द्वारा नपुंसक वेद की क्षपरणा
१
नपुंसक वेद के सक्रमणकाल मे वन्ध, उदय व संक्रम १ के माध्यम से प्रदेश विषयक अल्पबहुत्व का कथन
ह
उदय और सक्रमण की निरन्तर गुण रिण स्त्रीवेद सक्रमण मे होने वाले कार्यों का निर्देश
विषय
मंगलाचरण
चारित्रमोह क्षपणाधिकार
पृष्ठ
१
चारित्रमोह की क्षपणा मे प्रतिपाद्य अधिकार
अधः प्रवृत्तकरण मे होने वाली क्रियाए अपूर्वं करण का वर्णन
यहा होने वाली गुण रिणका कथन
गुण संक्रम के विषय में निर्देश
अपकर्षण व उत्कर्षण सम्बन्धी प्रतिस्थापनादि का
कथन
११
पूर्वकरण मे जघन्य - उत्कृष्ट स्थिति खण्ड के प्रमाण का निर्देश
उक्त करण में प्रथम व चरम समय में स्थितिखण्डादि के प्रमाण का निर्देश
एक स्थिति काण्डक के पतन मे सहस्रो अनुभाग काण्डकघात होते हैं
१०
१०
१८
२०
२१
२२
अनुभाग काण्डक किनके होता है ?
पूर्वकरण मे किस क्रम से किन-किन प्रकृतियो का बन्घव्युच्छेद होता है ?
अनिवृत्तिकरण सम्बन्धी कथन
अनिवृत्तिकरण गुण स्थान मे स्थिति खण्ड प्रमाण निवृत्तिकरण के प्रथम समय मे स्थिति बन्ध
स्थिति सत्त्व आदि का निर्देश
स्थिति बन्धा पसरण का क्रम निर्देश
स्थिति सत्त्वापरण का कथन
सत्त्व के क्रमकरण के बाद यथास्थान असंख्यात समय प्रबद्ध की उदीरणा
३६
स्थितिबन्ध और स्थितिसत्त्व सम्बन्धी क्रमकरण के कथन के पश्चात् ८ कषाय व १६ प्रकृतियोका क्षपणकरणाधिकार
देशघातिकरण का कथन
अन्तरकरण का कथन
२२
प्रकृत अल्प बहुत्व
२३ | अश्वकर्णं करण के प्रथम समय मे उक्त स्पर्वको मे से २४ उदय बन्ध को प्राप्त स्पर्धको का कथन
प्रकृत मे दृश्यमान द्रव्य का कथन
२६
प्रथम अनुभागकाण्डक होने पर होने वाला कार्य २६ अश्वकर्णकरण के प्रथमादि समयो में क्रमश: घटते
३३
३६
४२
४३
पृष्ठ ૪૬
४८
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४९
५०
सात तो कषाय के सक्रमण काल मे होने वाले कार्य ५१ अश्वकर्णकररण के स्वरूप निर्देश पूर्वक सज्वलन
चतुष्क के अनुभाग का अश्वकर्णं क्रिया का विधान तथा उसमे होने वाले कार्यों का निर्देश अश्वकर्णकररण के प्रथम समय मे होने वाले अपूर्व - स्पर्धको का कथन
अपूर्वस्पर्धक की रचना मे पाया जानेवाला द्रव्य का परिमाण
लोभादिक के स्पर्धको की वर्गरणा सम्बन्धी विशेष विचार, प्रकृत मे गणित सूत्र, क्रोधादि के काण्डक व उनकी शलाका आदि का कथन
५१
૬૪
६८
1७२
७६
८१
८२
८६
८६
क्रम से अपूर्व स्पर्धक रचना
प्रकृत मे स्पर्धक की वर्गरणा मे प्रविभागी प्रतिच्छेद की अपेक्षा अल्पबहुत्व
अश्वकर्णकरण मे प्रथम अनुभागखण्ड पतित होने
पर स्पर्धक आदि मे अल्पबहुत्व
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अश्वकर्णकरण के चरम समय मे स्थितिवन्ध व सत्त्व ९१
आगे बादर कृष्टिकरण के कालका प्रमाण जानने के
उपाय
65
८७
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