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128. किस गुणस्थान में कितने कर्मों का बंध होता है? उ. कर्म बंध के चार विकल्प हैं1. ग्यारहवें, बारहवें, तेरहवें गुणस्थान में एक सातवेदनीय कर्म का बंध
होता है। ___2. दसवें गुणस्थान में छह कर्मों (मोहनीय और आयुष्य को छोड़कर)
__ का बंध। 3. तीसरे, आठवें और नौवें गुणस्थान में सात कर्मों (आयुष्य को
छोड़कर) का बंध। 4. पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, छठे और सातवें गुणस्थान में सात-आठ
कर्मों का बंध। 129. कर्म का बंध कितने गुणस्थान तक होता है?
उ. तेरहवें गुणस्थान तक। 130. कर्मबंध को किसकी उपमा दी गई है? उ. कर्मबंध को 'सूची कलाप' की उपमा से उपमित किया गया है। सूची
कलाप से उपमित कर्मबंध के तीन प्रकार हैं1. धागे से बंधे हुए सूची-कलाप के समान कर्मों की बद्ध अवस्था है। 2. लोहपट्ट से बद्ध सूची-समूह के समान बद्ध स्पष्ट अवस्था है। 3. अग्नि में तपाकर घन से पीटकर सूची समूह को एकमेक कर देने के
समान है बद्धस्पृष्ट निकाचित अवस्था। 131. आठों कर्मों की जघन्य स्थिति का बंध कौन करते हैं? __* मोहनीय कर्म की जघन्य स्थिति का बंध-अनिवृत्ति बादर नामक
गुणस्थानवी जीव। * आयुष्य कर्म की जघन्य स्थिति का बंध—मिथ्यादष्टि तिर्यंच और
मनुष्य। * ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, नाम, गोत्र और अन्तराय इन छह कर्मों की जघन्य स्थिति का बंध-सूक्ष्म सम्पराय नामक दसवें गुणस्थानवी जीव। यह जघन्य स्थिति बंध कषाय प्रत्ययिक है। योग प्रत्ययिक जघन्य
स्थिति बंध उपशान्त मोह आदि गुणस्थानों में होता है। 132. क्या अन्तराल गति में कर्मबंध होता है?
उ. अन्तराल गति में भी कर्म का बंध होता है। सात कर्मों का (आयुष्य को
उ.
कर्म-दर्शन 33