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297. ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों का बंध क्या संज्ञी (समनस्क) करता है ? असंज्ञी (अमनस्क) करता है? नो संज्ञी-नो असंज्ञी (केवली और सिद्ध) करता है ?
उ. वेदनीय और आयुष्य को छोड़कर शेष छह कर्मों का बंध संज्ञी करता भी है और नहीं भी करता । ( वीतराग संज्ञी के ज्ञानावरणादि छः कर्मप्रकृतियों का बंध नहीं होता, सराग संज्ञी के होता है।) असंज्ञी बंध करता है।
नो संज्ञी - नो असंज्ञी केवली और सिद्ध होते हैं। उनके ज्ञानावरण आदि का बंध नहीं होता। संज्ञी और असंज्ञी वेदनीय कर्म का बंध करते हैं । केवली के वेदी का बंध होता है, सिद्ध के नहीं होता ।
संज्ञी और असंज्ञी के आयुष्य कर्म के बंध की भजना है। नोसंज्ञी और नोअसंज्ञी बंध नहीं करता ।
298. ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों का बंध क्या भवसिद्धिक करता है? अभवसिद्धिक करता है? नो भवसिद्धिक-नो अभवसिद्धिक करता है? उ. आयुष्य कर्म को छोड़कर सात कर्मों का बंध भवसिद्धिक करता भी और नहीं भी करता। (भवसिद्धिक के दो प्रकार हैं— वीतराग भवसिद्धिक और सराग भवसिद्धिक। वीतराग भवसिद्धिक ज्ञानवरण आदि का बंध नहीं करता, सराग भवसिद्धिक करता है। अभवसिद्धिक बंध करता है। नोभवसिद्धिक नो- अभवसिद्धिक बंध नहीं करता ।
भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक आयुष्य कर्म का बंध करते भी हैं और नहीं भी करते । नो - भवसिद्धिक नो- अभवसिद्धिक बंध नहीं करता।
299. ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्मों का बंध क्या चक्षुदर्शनी करता है? अचक्षुदर्शनी करता है? अवधिदर्शनी करता है? केवल दर्शनी करता है ? उ. वेदनीय कर्म को छोड़कर ज्ञानावरणादि सात कर्मों का बंध चक्षुदर्शनी, अचक्षुदर्शनी और अवधिदर्शनी करता भी है और नहीं भी करता । केवल दर्शनी बंध नहीं करता। (वीतराग छद्मस्थ ज्ञानावरण का बंध नहीं करते, शेष करते हैं; इसलिए चक्षु-अचक्षु-अवधिदर्शनी में कर्म बंध की भजना है।) प्रथम तीनों वेदनीय कर्म का बंध करते हैं। केवल दर्शनी बंध करता भी है। और नहीं भी करता । (सयोगी केवलदर्शनी के वेदनीय का बंध होता है, अयोगी केवली और सिद्ध के नहीं होता, इसलिए भजना है | )
300. ज्ञानावरणीय आदि आठों कर्मों का बंध क्या पर्याप्तक करता है? अपर्याप्तक करता है? नो-पर्याप्तक नो- अपर्याप्तक करता है?
उ. आयुष्य कर्म को छोड़कर ज्ञानावरणादि सात कर्मों का बंध पर्याप्तक करता 68 कर्म - दर्शन