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उत्तर वैक्रिय की अवगाहना
गति
देवगति
नरकगति
जघन्य
अंगुल का असंख्यातवां भाग अंगुल का असंख्यातवां भाग
उत्कृष्ट
एक लाख योजन
एक हजार धनुष प्रमाण
879. वैक्रिय शरीर नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिस नामकर्म के उदय से जीव को वैक्रिय शरीर की प्राप्ति होती है, उसे वैक्रिय शरीर नामकर्म कहते हैं।
880. वैक्रिय शरीर किसे कहते हैं?
उ. छोटे-बड़े आदि विविध रूप - विक्रिया कर सकने वाला शरीर वैक्रिय शरीर कहलाता है।
881. वैक्रिय शरीर कितने प्रकार का होता है ?
उ. दो प्रकार का— 1. भव प्रत्ययिक वैक्रिय शरीर
2. लब्धिप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर ।
882. भवप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर किसे कहते हैं?
उ. वह वैक्रिय शरीर जिसकी प्राप्ति में भव मुख्य होता है, उसे भवप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर कहते हैं ।
883. किन-किन जीवों के भवप्रत्ययिक वैक्रिय होता है ?
उ. देवों और नारकी जीवों के भवप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर होता है।
884. लब्धिप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर किसे कहते हैं ?
उ. जो शरीर तप, त्याग, संयम आदि से प्राप्त होता है, उसे लब्धिप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर कहते हैं ।
885. किन-किन जीवों के लब्धिप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर होता है ? उ. पंचेन्द्रिय मनुष्य और तिर्यंच के लब्धि प्रत्ययिक वैक्रिय शरीर होता है। 886. पर्याप्त बादर वायुकाय में भवप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर होता है या नहीं? उ. पर्याप्त बादर वायुकाय में जब तक वैक्रिय सप्तक की उद्बलना नहीं हुई हो तब तक ही वैक्रिय शरीर होता है अतः यह भवप्रत्ययिक वैक्रिय शरीर नहीं
है।
कर्म-दर्शन 191