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इसी प्रकार कहा जाता है शंख और कलावती का तीव्र स्नेह राग उन्हें इक्कीस जन्मों तक भाई-बहन के रूप में या पति-पत्नी के रूप में जोड़ता रहा।
मणिरथ राजा अपने छोटे भाई युगबाह की पत्नी मदनरेखा पर मोहित हो गया था। काम-राग की उसमें इतनी तीव्रता थी कि वह छोटे भाई को मारकर मदनरेखा को पाने के लिए लालायित हो उठा था। उसने युगबाह की गर्दन पर विष बुझी तलवार से वार कर दिया। युगबाह के मर जाने के बाद भी मणिरथ राजा मदनरेखा को नहीं पा सका। परन्तु तीव्र कामराग की वजह से उसका घोर कर्मबंध हुआ और अन्त में जहरीले सांप के काटने से वह मरणकाल को प्राप्त हो गया। वह मरकर नरक में पहुंचा और आगे भी अनेक जन्मों तक भटकता रहेगा।
औत्पत्तिकी बुद्धि के लिए रोहक, अभयकुमार आदि प्रसिद्ध हैं।
उज्जयिनी नगरी से कुछ दूरी पर एक छोटा-सा गांव था, जहाँ नट लोग रहते थे। वहाँ भरत नाम का एक नट था, जिसके पुत्र का नाम था रोहक। रोहक उम्र में छोटा था, लेकिन बुद्धि का बेताज बादशाह था।
एक बार रोहक अपने पिता के साथ क्षिप्रा नदी के तट पर गया। पिता ने कहा, 'बेटा ! तू यहीं पर खेलना, मैं नगर में जाकर कुछ काम निपटाकर आता हूँ।'
रोहक नदी तट पर खेल रहा था। अचानक उसे एक कुतूहल जगा और उसने नदी के तट पर उज्जयिनी नगरी का नक्शा तैयार कर लिया। उसी समय उज्जयिनी नगरी का राजा घोड़े पर सवार होकर उसी मार्ग से जा रहा था। वह राजा जैसे ही नक्शे के पास आया, उस रोहक ने राजा को रोक लिया और बोला, 'यहाँ उज्जयिनी है—यह राजा का महल है—आप अपने घोड़े को दूर से ले जाओ। बालक के इस जवाब को सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ।
राजा ने सोचा, यह बालक बुद्धिशाली लगता है, अतः मेरे मंत्री पद के लिए योग्य है फिर भी इसकी विशेष परीक्षा करनी चाहिए।
रोहक की बुद्धि का परीक्षण करने के लिए राजा ने गांव वालों के पास एक 236 कर्म-दर्शन
236 कर्म-दर्शन