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946. न्यग्रोध-परिमण्डल संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. न्यग्रोध (वटवृक्ष) की तरह जिसमें नाभि से ऊपर के अवयव प्रमाण युक्त
नहीं होते वह न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान है। जिस कर्म के उदय से जीव न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान प्राप्त करता है उसे न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान
नाम कर्म कहते हैं। 947. सादिज संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. सादिज-जिसमें नाभि से नीचे का भाग लक्षणयुक्त हो, वह सादिज संस्थान
है। जिस कर्म के उदय से जीव सादिज संस्थान की प्राप्ति करता है उसे
सादिज संस्थान नाम कर्म कहते हैं। 948. कुब्ज संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. कुब्ज—जिसके हाथ, पैर, सिर और ग्रीवा लक्षण युक्त हो, हृदय, उदर
और पीठ लक्षणहीन हो, पीठ पर अधिक पुद्गलों का संचय हो, वह कुब्ज संस्थान है। जिस कर्म के उदय से जीव को कुब्ज संस्थान की प्राप्ति हो,
वह कुब्ज संस्थान नाम कर्म है। 949. वामन संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. वामन—जिस शरीर में हृदय, उदर और पीठ लक्षणयुक्त हो, शेष अवयव
लक्षणहीन हो वह वामन संस्थान है। जिस कर्म के उदय से जीव को वामन
संस्थान की प्राप्ति हो उसे वामन संस्थान नाम कर्म कहते हैं। 950. हुण्डक संस्थान नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. हुण्डक-जिसमें सब लक्षण विसंवादी होते हैं, शरीर के सब अवयव प्रायः
प्रमाणहीन और असंस्थित होते हैं, वह हुण्डक संस्थान है। जिस कर्म के उदय से जीव को हुण्डक संस्थान की प्राप्ति हो, उसे हुण्डक संस्थान नाम
कर्म कहते हैं। 951. आहारक शरीर का संस्थान कौनसा होता है?
उ. समचतुरस्र। 952. चार गति में से किस गति में कौनसा संस्थान पाता है? उ. * सात नारकी, तीन विकलेन्द्रिय, असंज्ञी मनुष्य, असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय
__में संस्थान एक पाता है—हुण्डक। * सर्वदेवता, सर्वयुगलिया, तिरेसठ शलाका-पुरुष में संस्थान एक पाता
है—समचतुरस्र। * गर्भज तिर्यंच, गर्भज मनुष्य में संस्थान पाते हैं—छहों ही।
कर्म-दर्शन 201