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509. प्रत्यक्षज्ञान कितने प्रकार का हैं?
उ. दो प्रकार का - पारमार्थिक और सांव्यावहारिक ।
510. पारमार्थिक प्रत्यक्ष को और किन-किन नामों से पुकारा जा सकता है और उसके कितने प्रकार हैं ?
उ. पारमार्थिक प्रत्यक्ष को आत्म प्रत्यक्ष या नो इन्द्रिय प्रत्यक्ष भी कहा जाता है। इसके तीन प्रकार हैं— अवधि, मनः पर्यव और केवल ।
511. पारमार्थिक प्रत्यक्ष के तीन प्रकारों में सकल प्रत्यक्ष कितने हैं और विकल प्रत्यक्ष कितने हैं?
उ.
* केवल ज्ञान सकल प्रत्यक्ष है क्योंकि इससे मूर्त और अमूर्त सब पदार्थों की कालिक अवस्था का बोध होता है।
* अवधिज्ञान और मनः पर्यवज्ञान अपूर्ण या विकल प्रत्यक्ष कहलाते हैं। इनमें आत्मा और पदार्थ के मध्य इन्द्रिय, मन तथा अन्य किसी सहारे की अपेक्षा नहीं होती। पर इनसे केवलज्ञान की भांति अमूर्त तत्त्वों का ज्ञान नहीं होता। इसलिये ये अपूर्ण या विकल प्रत्यक्ष है।
512. परोक्षज्ञान किसे कहते हैं?
उ. 1. जो चाक्षुस आदि विज्ञान अपनी उत्पत्ति में पर-चक्षु आदि के अधीन है वह परोक्ष है।
2. जिस ज्ञानोपलब्धि में आत्मा, इन्द्रिय और पदार्थ के मध्य व्यवधान रहता है वह परोक्षज्ञान है।
513. कितने ज्ञान परोक्ष हैं?
उ. दो ज्ञान परोक्ष हैं— मतिज्ञान और श्रुतज्ञान ।
514. पांच ज्ञान में क्षयोपशम भाव कितने और क्षायिक भाव कितने ? उ. प्रथम चार ज्ञान क्षयोपशम भाव है और एक अन्तिम ज्ञानक्षायिक भाव है।
515. पांच ज्ञान में भाषक कितने और अभाषक कितने ? उ. श्रुतज्ञान भाषक और शेष चार ज्ञान अभाषक हैं।
- केवल ज्ञान
516. ज्ञानप्राप्ति में कितने विकल्प हैं?
उ. एक साथ ज्ञानप्राप्ति में चार विकल्प हैं—
1. दो ज्ञान -मति और श्रुत ।
2. तीन ज्ञान-(1) मति, श्रुत और अवधि । (2) मति, श्रुत और मन: पर्यव ।
कर्म-दर्शन 115