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855. वक्रगति किसे कहते हैं तथा उसका कालमान कितना है? उ. एक जन्म से दूसरे जन्म में जाते समय उत्पत्ति स्थान यदि समरेखा में न हो
उसे वक्रगति कहते हैं। इसका कालमान 2-3-4 समय का है। 856. गति नामकर्म किसे कहते हैं?
उ. देवत्व, मनुष्यत्व आदि पर्याय परिणति को गति नामकर्म कहते हैं। 857. गति नामकर्म के कितने भेद हैं? उ. गति नामकर्म के चार भेद हैं1. देव गतिनाम-जिस कर्म का उदय देव भव की प्राप्ति का कारण हो,
वह देवगतिनाम कर्म है। यह सुखबहुल गति है। 2. मनुष्य गतिनाम-जिस कर्म का उदय मनुष्यभव की प्राप्ति का कारण . हो, वह मनुष्य गतिनाम कर्म है। यह सुख-दुःख मिश्रित गति है। 3. तिर्यंच गतिनाम-जिस कर्म का उदय तिर्यंच भव की प्राप्ति का कारण
हो वह तिर्यंचगति नाम कर्म है। 4. नरक गतिनाम-जिस कर्म का उदय नरक-भव की प्राप्ति का कारण हो,
वह नरकगति नामकर्म है। यह दुःखबहुल गति है। 858. जीव मनुष्य गति में कब आता है? उ. मनुष्य गति में बाधक कर्मों का नाश तथा मनुष्यानुपूर्वी नामकर्म का उदय
होने पर जीव को मनुष्य गति में आने की शुद्धि प्राप्त होती है और इसी
अवस्था में वह मनुष्य बनता है। 859. जातिनाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जो कर्म जीव की जाति-कोटि का नियामक हो वह जातिनाम कर्म है।
___ जाति पांच हैं—एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय। 860. एकेन्द्रिय जातिनाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव केवल स्पर्शनेन्द्रिय का धारक हो उसे 'एकेन्द्रिय
जातिनाम कर्म' कहते हैं। संसार में जितनी जीव जातियां हैं, उनमें सबसे कम विकसित चेतना एकेन्द्रिय जीवों की है। पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति-एक स्पर्शनेन्द्रिय वाले जीव हैं। ये न चख सकते हैं, न सूंघ सकते हैं, न देख सकते हैं और न सुन सकते हैं। इनका सारा काम एक स्पर्श के आधार पर होता है।
कर्म-दर्शन 187