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5. अमनोज्ञ स्पर्श
6. मनोदुःखता 7. वचन दुःखता
8. काय दुःखता। 627. वेदनीय कर्म का बंध कौनसे गुणस्थान तक होता है? उ. * सातवेदनीय कर्म का बंध
1. साम्परायिक बंध-पहले से दसवें गुणस्थान तक
2. ईर्यापथिक बंध-11वें, 12वें और 13वें गुणस्थानों में। * असातवेदनीय कर्म का बंध
पहले से छठे गुणस्थान तक होता है।' 628. वेदनीय कर्म का उदय कौनसे गुणस्थान तक होता है?
उ. सभी गुणस्थानों में। 629. वेदनीय कर्म का उपशम और क्षयोपशम कौनसे गुणस्थान तक होता है?
उ. वेदनीय कर्म का उपशम और क्षयोपशम नहीं होता। 630. वेदनीय कर्म का क्षायिक भाव किस गुणस्थान में होता है?
उ. वेदनीय कर्म का क्षायिक भाव गुणस्थानों में नहीं होता, सिद्धों में होता है।
1. असातवेदनीय का बंध छठे गुणस्थान से आगे नहीं होता है। इसका जघन्य बंध बादर
एकेन्द्रिय पर्याप्त जीव के होता है।
। कर्म-दर्शन 139