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659. क्षपक श्रेणी वाला जीव मरकर कहाँ जाता है?
उ. मोक्ष में, सिद्धगति में।
660. क्षपक श्रेणी का आरोहण कौन कर सकता है? उ. अविरत, देशविरत, प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत-इन चारों में से कोई __ भी शुद्ध ध्यानोपगत चित्तवाला जीव क्षपक श्रेणी का आरोहण कर सकता
661. जीव को उपशम अथवा क्षपक श्रेणी कब प्राप्त होती है? उ. सम्यक्त्व के प्राप्तिकाल में मोहकर्म की जितनी स्थिति अवशिष्ट रहती
है, उस स्थिति में से पल्योपम पृथक्त्व (दो से नौ पल्योपम) स्थितिखंड के क्षय होने पर जीव देशविरति को प्राप्त करता है। संख्यात सागरोपम के क्षीण होने पर सर्वविरति प्राप्त करता है। उसमें से संख्यात सागरोपम क्षीण होने पर उपशम श्रेणी, उसमें से संख्यात सागरोपम क्षीण होने पर क्षपक श्रेणी प्राप्त करता है।
662. औपशमिक सम्यक्त्वी क्या क्षपक श्रेणी पर आरूढ़ हो सकता है? उ. औपशमिक सम्यक्त्वी क्षपक श्रेणी पर आरूढ़ नहीं हो सकता। उपशम
श्रेणी पर आरूढ़ हो सकता है।
663. क्या क्षायक सम्यक्त्वी उपशम श्रेणी पर आरूढ़ हो सकता है?
उ. क्षायक सम्यक्त्वी क्षपक व उपशम दोनों श्रेणियों पर आरूढ़ हो सकता है।
664. क्या क्षयोपशम सम्यक्त्वी श्रेणी ले सकता है? उ. क्षयोपशम सम्यक्त्वी दोनों ही श्रेणी नहीं ले सकता।
665. जीव एक भव में कितनी बार श्रेणी आरोहण कर सकता है? उ. जीव एक भव में उपश्रेणी दो बार लेता है, पर क्षपक श्रेणी एक ही लेता है।
एक बार उपशम श्रेणी लेने के बाद उस भव में क्षपक श्रेणी पर आरोहण नहीं होता—यह प्रवचन सारोद्धार टीका का अभिमत है। कर्मग्रन्थ के अनुसार एक बार उपशम श्रेणी लेने के बाद उस भव में क्षपक श्रेणी पर आरोहण कर सकता है।
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