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आयुष्य कर्म
778. आयुष्य का क्या अर्थ है? ।
उ. आयुष्य का अर्थ है—आयुष्य कर्म के पुद्गल स्कन्धों की राशि। 779. कौनसे कर्म के कारण आत्मा चारों गतियों में घूमती रहती है?
उ. आयुष्य कर्म के कारण। 780. आयुष्य कर्म किसे कहते हैं? उ. किसी एक गति में निश्चित अवधि तक बांध कर रखने वाला कर्म आयुष्य
कर्म है। 781. आयुष्य कर्म कितने प्रकार का है? उ. आयुष्य कर्म चार प्रकार का है
___ 1. नैरयिक आयुष्य' 2. तिर्यंच आयुष्य 3. मनुष्य आयुष्य 4. देव आयुष्य। 782. आयुष्य का बंध कब होता है? उ. देव, नारक तथा असंख्येय वर्षजीवी मनुष्य और तिर्यंच वर्तमान जीवन का
छह माह आयुष्य शेष रहने पर अगले जन्म का आयुष्य बांधते हैं। निरुपक्रम आयु वाले मनुष्य और तिर्यंच वर्तमान भव की 7 भाग आयु शेष रहने पर अगले भव का आयुष्य बांधते हैं। सोपक्रम आयु वाले जीव भाग शेष रहने पर अथवा उत्तरोत्तर तीसरे भाग
का तीसरा भाग (छठा, नौवां, सत्ताइसवां) शेष रहने पर आयुबंध करते हैं। 783. नरक-आयुष्य बंध के कितने हेतु हैं? उ. नरकायुष्य बंध के चार हेतु हैं
1. महा-आरम्भ' 2. महा-परिग्रह 3. पंचेन्द्रिय वध 4. मांसाहार' 784. तिर्यंच आयुष्य बंध के कितने हेतु हैं? उ. तिर्यंच आयुष्य बंध के चार हेतु हैं(1) माया करना (2) गूढ माया करना (एक कपट को ढकने के लिए
दूसरा छल) (3) असत्य वचन बोलना (4) कूट-तोल माप करना।
1. कथा सं. 30 2. कथा सं. 31 3. कथा सं. 32
HARE कर्म-दर्शन 171|