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537. अज्ञान कितने भाव? कितनी आत्मा?
उ. अज्ञान भाव-2 क्षायोपशमिक, पारिणामिक। आत्मा-उपयोग अनेरी। 538. अज्ञान छह में कौन? नौ में कौन?
उ. अज्ञान छह में जीव। नौ में-दो-जीव, निर्जरा। 539. चारों गति के जीवों में कितने व कौन-कौनसे अज्ञान पाते हैं? उ. * सात नारकी, नौ ग्रैवेयक तक के देवता, संज्ञी तिर्यञ्च व संज्ञी मनुष्य में
__ अज्ञान तीन पाते हैं। * पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रिय, असंज्ञी मनुष्य, असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय,
सर्व युगलियां में अज्ञान दो पाते हैं—मति अज्ञान और श्रुत अज्ञान।
* पांच अनुत्तर विमान के देवता और सिद्धों में अज्ञान नहीं। 540. ज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? उ. 1. जो पुद्गल स्कन्ध आत्मा की ज्ञान चेतना को आवृत्त करता है, वह
ज्ञानावरणीय कर्म है। 2. जीव का ज्ञान जिसके द्वारा आच्छादित होता है उस कर्म पुद्गल को
ज्ञानावरणीय कर्म कहते हैं। 541. ज्ञानावरण के कितने प्रकार हैं? उ. ज्ञानावरण के पांच प्रकार हैं
1. मतिज्ञानावरण 2. श्रुतज्ञानावरण 3. अवधिज्ञानावरण
4. मन:पर्यव ज्ञानावरण 5. केवल ज्ञानावरण। 542. मतिज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? उ. इन्द्रिय और मन के द्वारा होने वाले ज्ञान को आवृत करने वाला कर्म
मतिज्ञानावरणीय कर्म कहलाता है। 543. श्रुतज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? __उ. श्रुतज्ञान को आवृत्त करने वाले कर्म पुद्गलों को श्रुतज्ञानावरणीय कर्म
कहते हैं। 544. अवधिज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? ___ उ. अवधिज्ञान को आवृत्त करने वाले कर्म-पुद्गलों को अवधिज्ञानावरणीय
कर्म कहते हैं। 545. मन:पर्यवज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? उ. इन्द्रिय और मन की सहायता के बिना संज्ञी जीव के मनोगत भावों को
जानने में जो रुकावट डालता है, वह मन:पर्यवज्ञानावरणीय कर्म है। -120 कर्म-दर्शन