________________
546. केवलज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? उ. केवलज्ञान को आवृत्त करने वाले कर्म पुद्गलों को केवलज्ञानावरणीय कर्म
कहते हैं। 547. ठाणं सूत्र में ज्ञानावरणीय कर्म के कौनसे दो प्रकारों का उल्लेख किया गया
उ. देशज्ञानावरणीय कर्म और सर्वज्ञानावरणीय कर्म। 548. देशज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं? ___ उ. जो प्रकृति स्वघात्य ज्ञानगुण का आंशिक घात करे वह देशघाती
ज्ञानावरणीय कर्म है।
549. सर्वज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं?
उ. जो प्रकृति स्वघात्य ज्ञानगुण का सम्पूर्ण घात करे, वह सर्वघाती ज्ञानावरणीय
कर्म है।
550. ज्ञानावरण की पांच प्रकृतियों में कितनी देशघाती और कितनी सर्वघाती? उ. मतिज्ञानावरणीय आदि प्रथम चार कर्म देशघाती हैं और केवल ज्ञानावरणीय
कर्म सर्वघाती है। 557. ज्ञानावरणीय कर्म-बंध के कितने हेतु हैं? उ. ज्ञानावरणीय कर्म-बंध के छह हेतु हैं___1. ज्ञान प्रत्यनीकता—ज्ञान या ज्ञानी से प्रतिकूलता रखना।'
2. ज्ञान निह्नव-ज्ञान या ज्ञानदाता का अवलपन करना अर्थात् ज्ञानी को __कहना कि वह ज्ञानी नहीं है। 3 3. ज्ञानान्तराय—ज्ञान को प्राप्त करने में विघ्न डालना। 4. ज्ञान-प्रद्वेष-ज्ञान या ज्ञानी से द्वेष रखना। 5. ज्ञान-आशातना-ज्ञान या ज्ञानी की अवहेलना करना। 6. ज्ञान-विसंवादन—ज्ञान या ज्ञानी के वचनों में विसंवाद अर्थात् विरोध
दिखाना।
1. कथा सं. 13 2. कथा सं. 14 3. कथा सं. 15
4. कथा सं. 16 5. कथा सं. 17 6. कथा सं. 18
E कर्म-दर्शन 121