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17 प्रकृतियों का उदय नहीं होता, वें हैं-अप्रत्याख्यानी कषाय की-4, देवगति, देवानुपूर्वी, देवायुष्य, नरकगति, नरकानुपूर्वी, नरकायुष्य, वैक्रिय शरीर, वैक्रिय अंगापांगनाम, दुर्भगनाम, अनादेयनाम, अयशः कीर्तिनाम, मनुष्यानुपूर्वी, तिर्यंचानुपूर्वी इन 17 प्रकृतियों का उदय पांचवें गुणस्थानवर्ती
जीवों में नहीं होता है। 366. छठे गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का उदय हो सकता है? . उ. छठे गुणस्थान में तिर्यंचायुष्य, तिर्यंचगतिनाम तथा प्रत्याख्यानी कषाय की
चार, उद्योतनाम, नीचगोत्र-इन आठ प्रकृतियों का उदय न होने तथा आहारक शरीर एवं आहारक अंगोपांगनाम इन दो प्रकृतियों का उदय संभव होने से 81 प्रकृतियां उदय योग्य मानी गयी हैं। पांचवें गुणस्थान में जिन 87 प्रकृतियों का उदय होता है। उनमें से 8 घटाने से 79 + उनमें 2 जोड़ने
से 81 प्रकृतियां उदययोग्य मानी गयी है। 367. सातवें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का उदय संभव है? उ. छठे गुणस्थान में उदययोग्य 81 प्रकृतियों में से आहारक शरीरनाम,
आहारक अंगोपांगनाम, निद्रा-निद्रा, प्रचला-प्रचला एवं स्त्यानर्द्धि इन पांच प्रकृतियों का उदय सातवें गुणस्थान में न होने से 76 प्रकृतियों का उदय हो
सकता है। 368. आठवें गुणस्थान में उदय योग्य कितनी प्रकृतियां हैं? उ. सम्यक्त्व मोहनीय, अर्धनाराच संहनन, कीलिका संहनन, सेवार्त संहनन
इन चार प्रकृतियों का उदय सातवें गुणस्थान से आगे नहीं होता है। सातवें गुणस्थान में उदय योग्य 76 प्रकृतियों में से इन्हें कम कर देने से 72
प्रकृतियों का उदय आठवें गुणस्थान में हो सकता है। 369. नवमें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियां उदय योग्य मानी गयी हैं? । उ. नो कषाय की 6 प्रकृतियों का-(1) हास्य, (2) रति, (3) अरति, (4)
जुगुप्सा, (5) शोक, (6) भय-का उदय नवमें गुणस्थानवी जीवों के नहीं होता है। आठवें गुणस्थान में जिन 72 प्रकृतियों का उदय संभव है उसमें से
छह को कम करने से 66 प्रकृतियों का उदय नौवें गुणस्थान में होता है। 370. दसवें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का उदय होता है? उ. संज्वलन क्रोध, मान, माया मोह की तीन तथा नौ कषाय की स्त्रीवेद,
पुरुषवेद तथा नपुंसकवेद ये 3 तीन प्रकृतियां कुल 6 प्रकृतियों का उदय
84 कर्म-दर्शन