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(33) कूप, (34) वनखण्ड, (35) खीर, (36) अजिका, (37) पत्र, (38) बकरी की मेंगनी अथवा गिलहरी, ( 39 ) पांच पिता
नंदी 38 / 3, 4 आवश्यक निर्युक्ति 940, 942
424. वैनयिकी बुद्धि किसे कहते हैं ?
उ. विनय (शिक्षा) से उत्पन्न होने वाली बुद्धि वैनयिकी बुद्धि है। उदाहरणवैनयिकी बुद्धि - ( 1 ) निमित्त (2) अर्थशास्त्र ( 3 ) लेख (4) गणित (5) कूप (6) अश्व (7) गर्दभ ( 8 ) लक्षण (9) गांठ ( 10 ) औषध' (11) रथिक-गणिका (12) आर्द्र साड़ी - दीर्घ तृण-उल्टा घूमता हुआ क्रौंच पक्षी (13) नीव्रोदक (छत का पानी) (14) बैल घोड़े और वृक्ष से गिरना ।
आवश्यक निर्युक्ति 944, 945
425. कार्मिकी बुद्धि किसे कहते हैं ?
उ. अभ्यास करते-करते उत्पन्न होने वाली बुद्धि कार्मिकी बुद्धि है।
कर्मजा बुद्धि–(1) स्वर्णकार (2) कृषक' (3) जुलाहा (4) दर्वी (5) मणिकार (6) धृत व्यापारी (7) तैराक ( 8 ) रफू करने वाला (9) बढ़ई (10) रसोईया (11) कुम्भकार (12) चित्रकार
426. पारिणामिकी बुद्धि किसे कहते हैं?
उ. अवस्था के परिपाक से उत्पन्न होने वाली बुद्धि पारिणामिकी बुद्धि है। पारिणामिकी बुद्धि—(1) अभयकुमार (2) श्रेष्ठी (3) कुमार (4) देवी (5) उदीतोदीत राजा (6) साधु ( 7 ) नंदीषेण (8) धनदत्त (9) श्रावक (10) मंत्री (11) क्षपक (12) अमात्य (13) चाणक्य (14) स्थूलभद्र (15) नासिकपुर = सुन्दरीनंद ( 16 ) वज्र ( 17 ) चरण से हत ( 18 ) कृत्रिम आंवला (19) मणि (20) सांप (21) गेंडा (22) स्तूप उखाड़ना।
1. देखें कथा सं. 7
2. देखें कथा सं. 8
3. देखें कथा सं. 9
नोट : औत्पत्ति की आदि चारों बुद्धि के शेष सम्पूर्ण उदाहरणों के लिए देखें- आवश्यक हारिभद्रियावृत्ति। पृ. 277-282
98 कर्म-दर्शन