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361. पहले गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का समुच्चय की दृष्टि से उदय होता
उ. पहले गुणस्थान में उदय योग्य 122 प्रकृतियों में से मिश्रमोहनीय,
सम्यक्त्व मोहनीय, आहारक शरीरनाम, आहारक अंगोपांगनाम एवं तीर्थंकरनाम इन पांच को छोड़कर 117 प्रकृतियों का उदय जीवों की
दृष्टि से होता है। 362. दूसरे गुणस्थान में कितनी प्रकृतियां उदययोग्य हैं? उ. दूसरे गुणस्थानवी जीवों के सूक्ष्मनाम, साधारणनाम, अपर्याप्तनाम, __ आतपनाम, नरकानुपूर्वानाम तथा मिथ्यात्वमोहनीय इन छह प्रकृतियों का
उदय नहीं होता है, पहले गुणस्थान में उदय योग्य 117 प्रकृतियों में से इन छ: प्रकृतियों को घटा देने से 111 प्रकृतियों का उदय दूसरे गुणस्थान में हो
सकता है। 363. तीसरे गुणस्थान में कितनी प्रकृतियां उदय-योग्य मानी गयी हैं? उ. तीसरे गुणस्थान में अनन्तानुबंधी कषाय की-4, जाति नामकर्म की-4
(एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय), आनुपूर्वी नामकर्म की-3 (देवानुपूर्वी, मनुष्यानुपूर्वी तथा तिर्यंचानुपूर्वी), स्थावर नाम-इन 12 प्रकृतियों का उदय न होने से दूसरे गुणस्थान में उदययोग्य 111 प्रकृतियों में से इन्हें घटाने से 99 प्रकृतियां तथा तीसरे गुणस्थान में मिश्र मोहनीय
प्रकृति का उदय होने से 100 प्रकृतियां उदय योग्य होती हैं। 364. चौथे गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का उदय संभव है? उ. तीसरे गुणस्थान में उदय योग्य 100 प्रकृतियों में मिश्र मोह का उदय चौथे
गुणस्थान में न होने से तथा चारों आनुपूर्वी नामकर्म की प्रकृतियों एवं सम्यक्त्व मोहनीय प्रकृति का उदय होने से 104 प्रकृतियां उदय योग्य मानी गयी हैं। 100-1 मिश्र मोहनीय = 99 99 + 5 = 104
(चारों आनुवूर्वियों तथा सम्यक्त्व मोहनीय का उदय होने से।) 365. पांचवें गुणस्थान में उदय कितनी प्रकृतियों का होता है? उ. चौथे गुणस्थान में उदय योग्य 104 प्रकृतियों में से 17 प्रकृतियों का
उदय पांचवें गणस्थान में नहीं होता है अत: 87 प्रकृतियों का उदय पांचवें गुणस्थानवी जीवों में हो सकता है। पांचवें गुणस्थान में जिन
कर्म-दर्शन 83