________________
अन्तराय
नाम
-
अमूर्तिकपन गोत्र
अगुरुलघुपन
क्षायिक लब्धि। 216. आठ कर्मों का क्षायिक छह द्रव्य में कौन? नौ तत्त्व में कौन? ___उ. क्षायिक-छह में-पुद्गल। नौ में 4-अजीव, पुण्य, पाप, बंध। 217. आठों कर्मों का क्षायिक निष्पन्न छह द्रव्य में कौन? नौ तत्त्व में कौन? उ. * ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, अन्तराय-इन तीन कर्मों क्षायिक निष्पन्न
छह में जीव। नौ में 2-जीव, निर्जरा। * मोहनीय कर्म का क्षायिक निष्पन्न-छह में जीव। नौ में 3-जीव, संवर,
निर्जरा। * वेदनीय, नाम, गोत्र, आयुष्य-इन चार कर्मों का क्षायिक निष्पन्न-छह में
जीव। नौ में-2 जीव, मोक्ष। 218. आठ कर्मों का क्षायिक निष्पन्न किस-किस गुणस्थान तक? उ. * ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, अन्तराय-इन तीन कर्मों का क्षायिक
निष्पन्न-तेरहवें, चौदहवें गुणस्थान में। * दर्शन मोहनीय का क्षायिक निष्पन्न-चौथे से चौदहवें गुणस्थान तक। * चारित्र मोहनीय का क्षायिक निष्पन्न-बारहवें से चौदहवें गुणस्थान तक। * वेदनीय, नाम, गोत्र, आयुष्य-इन चार कर्मों का क्षायिक निष्पन्न
गुणस्थानों में नहीं, सिद्धों में पाता है। 219. पारिणामिक भाव किसे कहते हैं? उ. कर्मों के उदय, उपशम, क्षय और क्षयोपशम के द्वारा जीव की जिन-जिन
अवस्थाओं में परिणति होती है, वह पारिणामिक भाव है। 220. पारिणामिक छह द्रव्य में कौन? नौ तत्त्व में कौन?
उ. पारिणामिक छह में छह। नौ में नौ। 221. पारिणामिक भाव के कितने प्रकार हैं? उ. पारिणामिक भाव के दो प्रकार हैं
(1) सादि सहित पारिणामिक—दिशादाह, विद्युत् आदि। (2) अनादि पारिणामिक-षड् द्रव्य, लोक, अलोक, भव्यत्व, अभव्यत्व
आदि। पारिणामिक जीवाश्रित व अजीवाश्रित दोनों होता है।
48 कर्म-दर्शन