Book Title: Karananuyoga Part 1 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 13
________________ परिणामों की अपेक्षा अप्रमत्तविरत गुणस्थान का दूसरा नाम अधःकरण भी है। ऊपर के और नीचे के परिणामों में अनुकर्षण को दिखाने वाली अनुकृष्टि-रचना यहाँ पर होती है। ७. मान : पूर्वाह ग गुणस्थान किसे कहते हैं ? उत्तर : जहाँ सम-समयवर्ती जीवों के परिणाम समान और असमान दोनों प्रकार के और भिन्न-समयवर्ती जीवों के परिणाम असमान ही होते हैं, उसे अपूर्वकरण गुणस्थान कहते हैं। इस गुणस्थान में अनुकृष्टि रचना नहीं होती है। १८. प्रश्न : अनुकृष्टि-रचना किसे कहते हैं ? उत्तर : ऊपर के और नीचे के परिणामों में अनुकर्षण अर्थात् सादृश्य दिखाने वाली रचना को अनुकृष्टि रचना कहते १६. प्रश्न : अपूर्वकरण परिणामों के द्वारा क्या-क्या आवश्यक कार्य होते हैं ? उत्तर : अपूर्वकरण परिणामों के द्वारा चार आवश्यक कार्य होते है। (१) गुणश्रेणी निर्जरा (२) गुणसंक्रमण (३) स्थितिखण्डनPage Navigation
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