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नव तत्व
मत्सर १४ अचेल १५ अरति १६ स्त्री १७ चरिया १८ निसिहिया १६ शैय्या २. आक्रोश २१ वध २२ याचना २३ अलाभ २४ रोग २५ तृणस्पर्श २६ मल २७ सत्कार-पुरस्कार २८ प्रज्ञा २६ अज्ञान ३० दर्शन ( इन २२ परिषहो को जीतना )
१० यति धर्म :___३१ शाति ३२ निर्लोभता ३३ सरलता ३४ कोमलता ३५ अल्पोपधि ३६ सत्य ३७ सयम ३८ तप ३६ ज्ञान-दान ४० ब्रह्मचर्य ( इन १० यति धर्मो का पालन करना)
१२ भावना --- ४१ अनित्य भावना
ससार के सब पदार्थ धन, यौवन, शरीर, कुटुम्बादिक अनित्य, अस्थिर है व नाशवान् है, इस प्रकार विचार करना। ४२ अशरण भावना ___ जीव को जब रोग पीडादिक उत्पन्न होवे तव शरण देने वाला कोई नही, लक्ष्मी, कुटुम्ब, परिवार आदि कोई साथ मे नही आता ऐसा विचार करना। ४३ ससार भावना
जीव कर्म करके ससार मे चौरासी लाख जोव-योनि के अन्दर नट-नटी समान भटके । पिता मरकर पुत्र हो जाता है, पुत्र पिता हो जाता है, मित्र शत्रु हो जाता है, शत्रु मित्र हो जाता है इत्यादिक अनेक प्रकार से जीव नई-नई अवस्था को धारण करता है ऐसा विचार करे। ४४ एकत्व भावना
जीव परलोक से अकेला आया व अकेला ही जायेगा । अच्छे