________________
અજીવ દ્રવ્ય-અધ્યયન
२३८३
फासओ-१. गरूयफासपरिणया वि, २. लहुयफासपरिणया वि, ३. सीयफासपरिणया वि, ४. उसिणफासपरिणया वि, ५. निद्धफासपरिणया वि, ६. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१. परिमंडलसंठाणपरिणया वि. २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि, ४. चउरंससंठाणपरिणया वि, ५. आयतसंठाणपरिणया वि'। २. जे फासओ मउयफासपरिणयाते वण्णओ-१. कालवण्णपरिणया वि, २. नीलवण्णपरिणया वि, . ३. लोहियवण्णपरिणया वि, ४. हालिद्दवण्णपरिणया वि, ५. सुक्किलवण्णपरिणया वि । गंधओ-१. सुब्भिगंधपरिणया वि, २. दुब्भिगंधपरिणया वि। रसओ-१. तित्तरसपरिणया वि, २. कडुयरसपरिणया वि, ३. कसायरसपरिणया वि, ४. अंबिलरसपरिणया वि, ५. महुररसपरिणया वि । फासओ-१. गरूयफासपरिणया वि, २. लहुयफासपरिणया वि, ३. सीयफासपरिणया वि, ४. उसिणफासपरिणया वि, ५. निद्धफासपरिणया वि, ६. लुक्खफासपरिणया वि। संठाणओ-१. परिमंडलसंठाणपरिणया वि, २. वट्टसंठाणपरिणया वि, ३. तंससंठाणपरिणया वि,
तेसो स्पशथी - १. गुरस्पर्श - परिसरात ५९॥ छ, २. सधुस्पर्श - परित ५९॥ छ, 3. शीतस्पर्श - परित ५९॥ छ, ४. स्पर्श - परिसरात ५। छ, ५. स्निायस्पर्श - परित छ, 5. अक्षस्पर्श - परित ५९५ छ. तमोसंस्थानथी-१. परिभंडण संस्थान - परित पछे, २. वृत्तसंस्थान - ५रित ५९छ, 3. त्र्यस्त्रसंस्थान - परिसरात ५९। छ, ४. यतुरस्त्रसंस्थान - परित ५। छ, ५. भायतसंस्थान - ५२५त. ५९. २. यो स्पर्शथी भूदृस्पर्श - परित छ - तेसो fथा - १. राव - परित ५५ छ, २. नीसव - परित ५९ छ, 3. २५तव - परित ५४ छ, ४. पीता - परिएात. ५९छ, ५. शुरal - परिसरात ५॥छे. तमो गंथी - १. सुगं५ - ५२।त. ५९ छे, २.६ - परित ५९ छे. तेगो रसथी - १. तिरस - परित छ, २. अटुरस - परित ५। छ, 3. पायरस - परित ५९॥ छ, ४. मसरस - ५२९त ५५५ , ५. मधु२२४ - ५२त ५५ ७. तेसो स्पर्शथी - १. ३स्पर्श - परिरात ५९॥ छ, २. लघुस्पर्श - परित ५४ छ, 3. शीतस्पर्श - परित ५४ छ, ४. स्पर्श - परित ५९॥ छ, ५. स्नि५ स्पर्श - परित ५॥ छ, 5.२क्षस्पर्श - परित ५९॥ छ. તેઓ સંસ્થાનથી–૧. પરિમંડળ સંસ્થાન-પરિણત પણ છે, २. वृत्तसंस्थान - परित ५९ छ, 3. व्यस्त्रसंस्थान - परिणत ५९॥ छे,
१.
फासओ कक्खडे जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओ वि य ।।
- उत्त. अ.३६, गा. ३४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org