Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 696
________________ शब्द पृष्ठ नं. पृष्ठ नं. ८७१ २०७ १८६७ मोवक्कमाउय १५९६,१५९८ | संजयासंजयभाव सोवचय १५२ | संजलण ९५०,२४२९ सोवचयसावचय १५२ | संजलण (मोहणिज्जकम्मणाम) १४८५ सोवत्थियघंट (सूत्रभेद) | संजलणकोह-माण-माया-लोभ (कसायवेयणिज्जभेय) १४९९ सोवत्थी १८३३ संजूह (सुद्धवायाणुओगपगार) सोवागि (पावसुय) संजूह (सूत्रभेद) ७८१ सोवीरा (मध्यमग्राममूर्च्छना) १०३५ | संजोग (पज्जवलक्खण) सोंडमगर संजोयणाधिकरणिया (किरिया) १२३३ सोंडीर (पुत्तपगार) १८८३ संठाण ६००,९४८,२२०१,२४३५ संकप्प (अबंभपज्जवणाम) १४०० | संठाण (पज्जवलक्खण) ५१,१६६,१६७ संकम १५४७,२३५७ | संठाणकरण संकर (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ | संठाणणाम १२६,१५००,१५०२ संकामण (वाददोस) | संठाणनिव्वत्ती संकिन्न १८६६ | संठाणपरिणय (पोग्गल) २४७७,२४८५ संकिन्नमण संठाणपरिणाम १२५,२४०१ संकिलिस्समाण (सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिय) २२५,२२९ संठाणाणुपुवी ६०१,१००१ संकिलिस्समाणय (सुहुमसंपरायसंजय) ११२१] संडिल (जणवय) २१९ संकिलेस १६८९ संतपयपरूवणया १००६,१०११,१०१६ संखप्पमाण १०५७ संतोस (सोक्खपगार) १६८६ संखा (पज्जवलक्खण) संथव (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ संखाण (णेउणियपुरिसपगार) १८८३ संदमाणिया २८३,६४५ संखादत्तिय १३१६ | संपराइयबंध १५३७,१५४१ संखावत्ता (मणुस्सजोणी) संपराइयबंधग १६१८ संखेज्जजीविय (रूक्खभेय) १७६८ संपराइया (अजीवकिरिया) १२३३,१२७१-१२७४,१२८२,१२८३ संखेज्जपएसिय (पोग्गलत्थिकाय) ४० संपाउप्पायय (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ संखेज्जसमयसिद्ध संबाह संगह (नयभेद) १०८० संभार (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ संगाम • २११८ संमुच्छिम २०७,२०८,२१०,२१३,२१५,१४१५ संघयण १६७,६०३,९४८,२२०१,२२०३,२२१८,२२२०, संमोह (अवद्धसभेय) २२२२,२२२६,२२९४,२२९५ | संरक्खणा (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ संघयणणाम (कम्म) १५००,१५०१ सरंभकरण २८९ संघयणी २२१३,२२५४ | संलाव (वयणविकप्प), संघवेयावच्च १३२० संवच्छर ४०७,४०८,२१२२,२१७८,२२४६,२२४८,२२६१, संघाइम (मालाप्रकार) संवर २,४,१३१३,२५८५,२६०३ संचय (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ | संवरदार ८६४ संचिट्ठणा संवास १४६० संजम २,१०८९ संवासभद्द १८२६,१८२७ संजमट्ठाण ११०४,११३५ | संविग्गविहारी १९१३ संजमासंजम १५८६,११४३ | संयुक्त १८४२ संजय १५९,२६९,५१९,१०८७-१०८९,११२१, ११५१,११६६,११८२,११८४,१५५४,२३५१ | संवुडजोणिय संजयभाव संवुडबउस १०९० संजयासंजय १५९,२६८-२७०,५१९,१०८७-१०८९, | | संवुडवियडजोणिय ३७४ ११५२,११८०,११८२,११८४,१२४१,१५५४,२३५१ | संवुडवियडाजोणी ३७४ १५४७ संवुड २४० ३७४ ३५९ P-101 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814