Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 764
________________ १/१३८ | रसग राया १/८ रिउब्वेद १/२४९ मंथ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. मोसोवएस २/१२५ रण्णा रक्खिय १/४६९। रामउत्त २/४४० मोह १/१२६,४४२; २/४६४,४७१ | रती १/२२२ राय करंडग १/१०२ मोहगुण रत्तरयण १/१३८ रायकह १/११३,११४ मोहजासंगा उवसग्गा २/४३७,४३९ रम्मगवस्स १/२८ रायखत्तिय १/६७२ मोहणिज्ज १/१४६,१६५; २/४१९ रयण रायगिह १/८८,३१२,५०२; २/१५२ मोहणिज्ज कम्म २/३८० रयणावली १/४१८,६५४ रायणिय १/७१,९४,९५,९६ मोहणिज्जकम्मउदय २/२०२ | रयणाहिय रायणियपुरिसपगारा २/२२७ मोहदंसी २/४६० रयणी १/४३,६७० रायणियिन्द पगारा २/२२७ मोहपाउड १/४३६ रायपिण्ड १/५९९,६०५ | रयताण १/७२९ रायपेसिय मोहमहण्णव २/४७१ रयमल १/५५४ १/८५ रायवसीकरण मोहमूढ १/४६७ १/१६५ रयहरण १/७०८,७२८,७२९; २/५ मोहरिय रायवंसट्ठिय १/५५४ १/३००; २/१२८ रयुग्धात रायबुग्गह मंगल १/१,२२२ | रस १/१३८,२२९; २/३३,४४६,४४७ रायहाणी १/५०३ मंचमासालय १/१६७ १/४७,१४३,१४९,१५३ मंडलिक पव्वय १/३२० रसणिज्जूहणता २/२९४ रायंतेपुर १/५९९,६०० मंडिय (गणधर) | रसपण्णाण २/४५४ रायंसी १/१६६,५३० मंडियपुत्त १/२०७,२०८,२०९,२१० रसपरिच्चाय २/२९३,३०९,३१० १/४८ मंताजोग रसमंत १/५१२ रिद्धी १/२२२ मंत पिण्ड १/५७४/ रसय रीरियपाय १/७१० १/५७९ | रसया १/२४४,२४५ रक्ख १/२२९,२४९ मंथुजात १/५८६ | रसवाणिज्ज २/१२८ रूक्खमूल १/६४९; २/४२८ मंदकुमार १/५१८ रसविवज्जण रूक्खमूलगिह २/३२० मंदकुमारि १/५१८ | रसासत्ति णिसेहो २/४४६ | रू(रो)द्द झाण २/४०२,४०३ मन्दर १/१०९ १/१७५ | रुद्दझाण लक्षण मदरगिरिसिहरचूलिका १/४३१ रहस्साब्भक्खाण २/१२५ रूप्पलोह १/४१९ मंदरवर (पर्वत) १/३२० राइ १/४३ | रूयगवर (दीव) १/३२०,२/४१४ मंदा २/४२९,४४० राइगमण १/४९१ | रूयय (रूचक पर्वत) मंस राइणिय २/२५१,२५२ रूव १/१३८,४४८,५२१,५२२; २/४४३ मंसखायाण १/६०२ राइण्णकुल १/५५४ रूवतेण १/३०५ मंसुरोम १/३६४,३६९,३७५, |राइभोयण १/४७८,४७९ रूवपडिमा १/४५२ ३८१,३८७,३९३,४०१ |राइभोयणपडिसेवणपत्त १/४८१,४८२ स्वमय २/२१९,२२० याऽऽणमणि १/५१४ | राइभोयण वण्ण १/४८४ रूवसच्चा १/५१३ रइअरइ १/२१४,४४४ | राइभोयणविरमणं ठाणं २/५६ रूवसंपन्न १/१२२ रइणिसेह १/४४३ राइभोयणविरय २/२९२ रूवाणुरत्त २/४४४ रक्खस १/१७० राइभोयणाओवेरमणं २/१३१ रूवाणुवाय १/४७८ रूवावलोयणासत्ति १/३३५ राईयपडिक्कमण समायारी १/४५१ रक्खसी २/७४ रूवासत्ति णिसेह रक्खा २/४४३ | राईय समायारी १/२२२ २/७३ रूवंधर रज्जपरिवट्टिए ओग्गह विहि १/३०७ | राओग्गह १/६७२ २/४८ राग १/१२६; २/४६४ रोग परीसह २/४२१,४३१ टुथेर २/२२७ | रागणिग्गहोवाय १/४४४ रोगाय (तं) क १/१३९,१४०,३२६, रखधम्म १/३३ रातिणिय १/१०५,२/१५३ | ३२७,३२८,३२९,३३०,३३१,३३२,४४०, रण १/४२,४६४,५०२,६०२ | रातिणिया २/१५४ ४८०,६५३ रोग Jain Education International For PP-169sonal Use Only www.jainelibrary.org

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