Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 794
________________ | पुक्खले १/५ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. पिंगलएणं णियंठेणं १/२३७ | पुण्डरीयद्दहे १/३४१,४३८ पिंगायणस २/२०९ | पुग्गलपरिणामा १/४७१ | पुण्डरीया य १/१२७ पिंडगाई पुग्गलपरिणामाओं २/३२२ | पुण्डरीयद्दहस्स १/३४८ पिंडमंजरि १/१४७ | पुढविपइट्ठिया १/४० | पुण्ण तिमिसगुहा १/३२७ पिट्ठकरंडसया १/२४७ | पुट्ठवई २/२४९ | पुण्णकलसविउप्फेस १/८६ पितृपयणग-संठिया १/८० | पुट्ठवइ पुण्णिमा २/२४९ पुण्णप्पमाणा पिति देवयाए २/२१२ | पुढवि १/४७२ पुण्णभदं पियंगु १/१८७ | पुढविं १/९३ | पुण्णभदं चेइयं पियदसणा १/४२० | पुढविकाइ १/१४५ पुण्णभद्दकूडे १/३१७,३२५ पियदंसणे १/४४३ | पुढविकाइएणं १/४७२ पुण्णभद्दस्स १/३१९,२/८ पियदरिसणे २/३११ | पुढविकाइएहिं १/२० पुण्णभद्दे चेइए पियाल १/१८७ | पुढविकाइया १/८४ पुण्णमासिणी २/५७ पिसाया | पुढविक्काइएणं २/४०९ पुण्णमासिणीसु २/२२९,२४५ पिसायाणं २/३,४,१० | पुढविनेरइय ठाणा | पुण्णवसू २/२४४ पिहडग-संठिया १/८० | पुढविपतिट्ठिता तस-थावरा पाणा १/१४ | पुण्णिमासिणि २/७०,१६५,१८५ पीइवद्धणे २/३९० पुढविपरिणामा १/४७१ | पुण्णिमासिणिट्ठाणाए २/६९ पीइदाणं | पुढविपरिणामाओ २/३२२ | पुण्णिमासिणीओ २/१६६ पीढमद्द १/३ | पुढविपरिणामे वि १/१४४ | पुण्णे पीढाणीए १/१२० पुढविसिलापट्टए | पुण्णे चेव १/१०२ पीणकाणं १/२०१ पुढसिलापट्टगंसि १/५ | पुत्ता पीणिए जोए २/६८ | पुढविसिलापट्टगा १/१६२,३७३ | पुत्थयरयणा १/२८४ पुक्खरकण्णिया संठाणसंठिए १/१४१,१४३ | पुढवी २/३०६ पुष्फए पुक्खरकण्णिया - पुढवी कंपण पुप्फचंगेरीओ १/१७३ संठाणसंठिया १/८५,२/३०५ | पुढवीणं अहोभागट्ठियदवसरूवं पुष्फचंगेरीणं १/२०१ पुक्खरकण्णिया-संठाण २/१०५ | पुढवीणं दवसरूवं १/४४ | पुष्फजंभगा पुक्खर सु २/५५ | पुढवीणं परोप्परं अबाहा अंतरं १/४५ पुष्फदंता एत्थ दो देवा १/४४८ पुक्खरखरदीव पुरच्छिम १/४२४ | पुढवीणं संठाणं १/४३ | पुष्फपडलाइं १/१७३ पुक्खरवरदीवस्स १/४२३,४२७,२/१९६ | पुढवीणं सासयासासयत्तं १/४३ | पुष्फफल २/११ पुक्खरिणीी १/१९२,२१७,२/२८४ | पुढवीसु निररयावासा १/७४ पुष्फमाला १/१२५ पुक्खरोदं समुद्दे २/१९६ | पुणव्वसु २/२०६,२०९,२१२,२१५, २/८ पुक्खरोदसमुई १/४२४ । २२५,२२६,२४८,२५२,२६७,२७१ | पुष्फोवयार २/२१४ पुक्खरोदस्स १/४४४ पुणव्वसु उवकुलं २/२२९ | पुरथिम-दाहिणा १/२१ पुक्खरोदे १/२०२ पुणव्वसुणा २/१८६,३८३,३८४ | पुरस्थिमरूयगवत्थव्वाओ १/१२६ पुक्खरोदे समुद्दे १/४४४ पुणब्वसुणा चेव २/१८८ पुरथिमलवणसमुदस्स १/२४४ पुक्खल संवट्टस्स महामेहस्स २/४२० पुणव्वसू २/२२०,२३२,२४०, पुरस्थिमा पुक्खला १/४१४ २४२,२४६,२६५ | पुरथिमिल्ले १/२९,३१ पुक्खलावई अ इत्थ देवे १/२३७ | पुण्डरगिणीओ १/४१६ | पुरत्थिमे २/८७ पुक्खलावई १/२३७ पुण्डरिगिणी १/४५७ | पुरिसच्छायं २/१५०,१५२ पुक्खलावती १/४१४ | पुण्डरीअद्दह १/४०१ | पुरिसुत्तमाणं पुक्खलावत्तचक्कवट्टिविजयस्स १/३०३ | पुण्डरीए दहे सुवण्णकूला महाणई १/३६० | पुरिसुत्तमे पुक्खलावत्तविजयस्स १/२३७ | पुण्डरीगिणी १/२३७ पुलए १/४८ पुक्खलावत्ते विजए १/२३७ | पुण्डरीयद्दहा १/२०२ पुव्व | पुष्फवई १/२१ P-199 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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