Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 791
________________ शब्द पृष्ठ नं. शब्द देवच्छंदया १/२८४ | दो उत्तराफग्गुणी देवदीवगाणं २/१९७ | दो उत्तरासाढा देवदीवे १/४६८ | दो एगसेला देवदूसंतरिए १/१९८ दो कच्छा देवदूसजुयलाई १/२१२ दो कत्तिया देवदूसजुयलं १/२०९ दो खीरोयाओ देवद्दारे १/४५४ दो गंगा देवपओयणेसु १/४५९ दो चंदपव्वया देवपलिक्खोभे इ वा २/३२२ दो चन्दा देवपवए १/२९९ दो चित्तकूडा देवपब्वया वक्खारपव्वया १/४१३ दो चित्ता देवफलिहे इ वा २/३२२ दो चुल्लहिमवंता देवभद्द १/४६८ दो जेट्ठा देवमहाभद्दा एत्थ १/४६८ दो धणिट्ठा देवमहावरा १/४६८ दो धणुसहस्साई देवयाओ १/३९९, ४०१ दो नलिनकूडा देवविमाणाणं २/२९५ दो नारिकता देवसमवाएसु १/४५९ दो निसढकूडा देवसमितीसु १/४५९ | दो निसढा देवसमुदयेसु य १/४५९ | दो नीलवंत कूडा देवसयणिज्जसि १/१९८ दो नीलवंता देवसयणिज्जस्स १/१९१,१९२ दो पंडुकंबलसिलाओ देवसयणिज्जाओ १/१९९ दो पउमद्दहा देवसयणिज्जे १/१९६,४०६ दो पुणब्बसु देवा १/४२७ दो पुवापोट्ठवया देवाइसु दीव २/२७ | दो पुव्वाभद्दवया देवाणंदानिरती २/३९६ दो पुवाफग्गुणी देवासुरसंगामंसि १/४७४ दो पुव्वाभदवया देवियाओ १/३११ दो पुव्वासाढा देवी-मेहंकरा १/३२८ दो पुस्सा देवीओ १/४३८ दो पोंडरीय देवे १/४५५ दो भरणी देवे दीवे १/४७० | दो मंदरचूलिया देवे वक्खारपवए १/२४० दो मंदरा पव्वया देवेन्द २/२९१ | दो महा देवोदं समुदं २/१९७ दो महाओ देवोदसमुद्दगाणं २/१९७ दो महाहिमवंता देवोदे समुद्दे १/४६८,४७० दो मालवंता दो अंजणा १/४३५ दो मूला दो अणुराधा २/२६१ दो रत्तकंबलसिलाओ दो अद्दा २/२६३ दो रत्ता दो उत्तरापोट्ठवया २/२५९,२६०,२६३ दो रूप्पकूला पृष्ठ नं. शब्द पृष्ठ नं. २/२५९,२६०,२६३ दो स्यग कूडा १/४३७ २/२५९,२६० दो रेवई २/२५९,२६१,२६३ १/४३५ दो रोहिणी २/२५९,२६०,२६३ १/४१४ | दो रोहितंसा १/४४१ २/२६०,२६१,२६३ दो रोहिया १/४१८ | दो विज्जुप्पभा १/४४१ | दो विसाहा २/२५९,२६०,२६३ १/४३५ दो वेसमण कूडा १/४३७ २/२६० दो संठाणा २/२६०,२६१,२६३ दो सतभिसया २/२६०,२६१,२६३ २/२५९-२६१,२६३ दो सवणा २/२६०,२६१,२६३ १/४३३ दो साई २/२६० २/२६०,२६१,२६३ दो साती २/२६१,२६३ २/२५९-२६१,२६३ दो सिंधू १/४४१ २/४१८ दो सिहरी १/४३३ १/४३५ | दो सीता १/४४१ १/४४१ दो सुकच्छा १/४१४ १/४३७ दो सुहावहा १/४३५ १/४३३ दो सूरपब्वया १/४३५ १/४३७ | दो सूरिया २/२६० १/४३३ दो सोमणसवणा १/४१३ १/४१४ दो सोमणसा १/४३५ १/४३८ | दो हत्था २/२६०,२६१,२६३ २/२५९,२६०,२६३ दो हरिकता १/४४१ २/२६० | दो हरी १/४४१ ..२/२५९ | दोवारिय २/२५९-२६१,२६३ दोसिणा २/२६१,२६३ दोसिणाइया २/१७४ २/२५९-२६१,२६३ दोसिणापक्खं २/२५९-२६१,२६३ दोसिणाभा २/४२ १/४३९ । | दोसुद्धकवाडेसु १/१३२ २/२६०,२६१,२६३ धणंजए १/४१३ | धणिट्ठा २/२०६,२११,२१४,२१६,२२५, २२६,२२७,२२९,२३८,२४१,२४४,२४५, २/२६१,२६३ २४८,२५०,२६४,२६६ २/२६० धणिट्ठाण २/२०८,२३३ १/४३३ | धणु १/२६५,२/४२५ १/४३५ | धj १/२३१,२४२,२४४, २/२५९-२६१,२६३ २४७,२६१,२६२ १/४१४ धणुपिट्टे १/२८७ १/४४१ | धणुपुढे १/२२९,२५९ १/४४१ | धणुसहस्समूसिता १/२४७ P-196 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814