Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 728
________________ पृष्ठ नं. १/१०४ १/१०४ १/४३१ १/१०७ १/१७३,२/११५ २/४५३ १/५२० २/११५ १/१०९ १/७३३ १/१७२ २/८७ अज्जा lithalilal ini.chaikalik शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. | शब्द अजीवकाइय आरंभ १/२८४ अट्ठोवमा १/२२३ अणण्हय अजीवमिस्सिया १/५१४ अड्ढरत्त अणण्हयफल अजुत्त परिणय १/११७ अड्ढोमोयरिया अणण्हव अजुत्तरूव १/११७ अणग २/४३७ अणाइल अजुत्तसोभ १/११७ अणगार १/६१,६२,१५३,२०६,२१२, अणागत अजुत्त १/११६,११७ | २१७,२३२,२३५,३२८,३३५,३३९,४८९, | अणागमण धम्मिणो अजुत्ता १/११७ ४९०२/१,२,३,२२,१३८,१५७,१८९,१९१, | अणागयवयण अजोगत २/११९ २४६,२९९,३१७,३१८,३१९,३२०, अणागार अज्ज १/२०२ ३२२-३२४,३३७,३३८,३४२,३४७,३४८, | अणाढित्ता अज्जदिट्ठी १/२०२ ३६३,३६४,४२७,४३०,४५२,४६२ अणाढिय (देव) अज्जपण्णा १/११८ अणगारगुणा २/३३ अणाणुबंधि अज्जव १/१३४ अणगारधम्म १/३२ अणाणुवादी अज्जव (धम्म) १/३२,३३ अणगार सामाइय १/३३ अणाताविय १/११८ अणगारिय १/१३२ अणादीय अज्झवणावरणिज्जा १/२०७,२०८ अणच्चसायणसील १/१०४ | अणाभोग अज्झत्थ जागरणा अणच्चावित्तं १/७३३ | अणायार अज्झत्थवयण १/५२० अणच्चासायणावियण अज्झस्थिय अणज्ज १/२०२ अणायार-भंड-सेवी अज्झप्पजोगसाहणजुत्त १/७५२ अणज्जदिट्ठी १/२०२ | अणारिय अज्झप्पजोगसुद्धादाण २/२४ अणज्जधम्म १/२४३ अज्झयण छक्कवग्ग अणज्जपण्णा १/११८ | अणारियवयण अज्झसिर १/७३८ अणज्जा १/११८ | अणारंभ अज्झोववज्जणा १/१२३ अणज्झोववण्ण २/२९९ अणारंभजीवी अज्झोववण्ण १/४७७ अणट्ठा १/५०९ अणालोयण अझंझपत्त अणण्णदंसी २/३३ अणाविल अट्टझाण अणण्णाराम २/३३ अणासत्त अट्टझाण लक्खण २/४०२ अणत्तपण्ण १/१३५ अणासव १/४२१ अणत्तवओ २/३३ अट्टालय १/४२१ अणत्तवओ अत्तवओयणा अणासायमाण अट्ठ अट्ठमिया भिक्खु पडिमा २/३३७ अणत्थदंडवेरमण २/११६,१२४,१२८ अणाहपिण्ड अट्ठकर २/२३२ अणन्तघाइ पज्जव २/३८१ | अणियाठाण अट्ठजाय २/३८० अणपन्नियदेवत्तण २/१५० | अणिएय अट्ठणाणायार १/१११ अणभिक्कन्त किरिया अणिएयवास अट्ठदंसी १/१०८ | अणभिग्गहिय (1) १/५१४,२/७४ अणिच्च भावणा अट्ठमभत्तिय २/८५ | अणभिग्गहिय कुट्ठी १/१२६ अणिट्ठहए अट्ठमी पोसह अणभिग्गहिय मिच्छादसण १/१६४ अणिदाण अट्ठलोलुप अणवज्ज (अनवद्य) १/१४६,१६९ | अणिदायणा अट्टविहकम्मगंठि १/३२५ अणवठ्ठप्प २/२४५,३७७,३७८ | अणियट्ठगामी अट्ठारस ठाणा अणवट्ठप्प पायच्छित्तारिहा २/३७७ | अणियाणभूत अट्ठारस पावट्ठाण २/२०७ | अणवट्ठप्पारिह २/३५२| अणिरय अट्ठालोभी अणवदग्ग २/६४ | अणिसिट्ठ अट्ठि अणसण २/२९४,३०२ | अणिस्सर २/३५१ १/१८८,१८९,५६१, २/९८,२०० २/१७६ १/१५९,१६३,१८०, १९६,४९२,२/६६ १/२४८ १/२८४,४५५ १/७५४ २/४९ १/४३४ १/१०५,२०७,२२३, २/२९४,४६५ १/५०८,५०९ अट्ट १/५०३ २/४२८ २/४८ २/४५३ २/३११ २/४६३ २/६४ १/१५९ १/५०७,५६३,६१४ १/१४२ P-133 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814