Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 682
________________ २५५३ रोस a. mr Wro शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. रूवी (अजीवदव्व) २९,३०,४३,६५४ | लिंग १०८९ रूवीअजीवपज्जव ८७,८८,११७ | लिंगकसायकुसील १०९१ रूवीजीव (विभंगणाणभेद) ९४१,९४४ | लिंगपडिसेवणाकुसील १०९१ रोग (परीसह) १५०७ लिंगपुलाय १०९० रोद्द (काव्यरस) १०३६ लिंगाजीव २५९६ रोद्द (कामभेय) १४६१ लुक्ख (सद्दभेय) १४३,१४८ लुक्खफासणाम (कम्म) १५०२ रोमज्झाम १४८ |लुक्खफासपरिणाम १२७,२४०२ रोरूय (अहेसत्तमापुढविमहाणरग) १७१९,२०३८ लुक्खबंधणपरिणाम १२६ रोविंदय (गीतप्रकार) ९९६ | लुंपण (पाणवहपज्जवणाम) १३५३ रोस (मोहणिज्जकम्मणाम) १४८५ लुंपणा (अदिण्णादाणपज्जवनाम) १३८० २४२९ लूसय (हेउ) रोह (अणगार) १३२ लूहचरग रंगण (जीवत्थिकायनाम) लूहाहारा लेण २८२ लक्खण लयणपुण्ण लक्खण (पावसुय) लेणा लक्खण (पावसुयपसंग) लेसणाबंध २५५७ लगंडसाइण १३१७ लेसणि (पावसुय) लट्ठदंत (अंतरदीवय) २१७ लेसागई ७६८,७७० लत्तियासद्द (नोभूसणसद्दभेय) २५५३ लेस्सा १४९,३५८,१०८९,११५६,११६६-११७५,१५१८, लद्धिअक्खर (अक्षरश्रुतभेद) ८२० १७३१,१७३४,२२०१,२२०४,२२१३,२२१५,२२२९,२२३२, लद्धिवीरिय २३७,२३८ | २२४०,२२४१,२२४४,२२४६,२२५१,२२५४,२२५७,२२६२, लद्धी ९६३ २२६४,२२७७ लब्धि १५० लेस्साकरण ११६७ लया १८५,१८८ लेस्सागई ११८६,११८७ ललियगय (सरीरलक्खण) लेस्साणुवायगई ७६८,७७० | लेस्सानिव्वत्ती लवसत्तमदेव १९६१ लेस्सापरिणाम १२०-१२५ लहुफासपरिणाम २४०२ | लोइय (ज्ञायकशरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यायभेद) १०७२ लहुय ३१,४१,१०९,२८७,३८०,५४३,७८२,७९२, लोइयभावसुय (नोआगमभावश्रुत) ९०४ ११५८,१४८१ लोउत्तरियभावसुय (नोआगमभावसुय) ९०४ लाघव १४९ | लोग ४६,१४३,१४४,८२७,२३६७ लाढ (जनवय) २१९ | लोगदव ४१ लाभमय १४६८ लोगप्पमाणमेत्त ४१-४३ लाभलद्धी ९६३,९६४ लोगपालदेव लाभविसिट्ठिया (उच्चागोयकम्म) १५०३ | लोगबिंदुसार (पूर्व) ८७२,८७३ लाभविसिट्ठिया (उच्चागोयकम्मस्सअणुभावपगार) १६४८ | लोगमज्झावसिय (अभिनयप्रकार) ९९६ लाभंतराइय (कम्म) १५०३ लोगसण्णा ३८३ लाभतराय १६६,१५५४ लोगागास लाभंतराय (अंतराइयकम्मस्सअणुभावपगार) १६४८ लोगागासपएस लाभासंसप्पओग २६०५ | लोगालोग ८२८,८३१ लालप्पणता २४२९ | लोगावाई १४२ लालप्पणपत्थणा (अदिण्णादाणपज्जवणाम) १३८१ | लोगुत्तरीय (ज्ञायकशरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यायभेद) १०७२ लावगलक्खण (पावसुय) लोगंतियदेव १९११,१९४४ लिक्ख ९१७ | लोभ ५५९,१२७२,१२७३,१२८६,१४६४,२४२९,२५८६ लित्त ४७ | लोभ (मोहणिज्जकम्मणाम) १४८५ लव १८९० १२९ ३१ ९०७ P-87 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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