Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 684
________________ १५११ पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ठ नं. वणस्सइ ३७०,१३२८,१४२६ | वरायंस (पसत्थसरीरलक्खण) १४१३ वणस्सइकाइय १०,५२,५९,७२,१२३,१३१,१४५,१६०,१६२, वरूण (लोगंतियदेवनाम) १९११ १७५,१७७,१७९,१८५,१९९,२५५,२७८,२९५,२९९,३०५,३०६, वलय २४२९ ३१७,३१८,३२६,३४३,३६६,३७३,४०६,४८५,५१८,५६३,५७२, वलय (मुसावायपज्जवणाम) १३६९ ६९७,७०८,७४६,७५१,७५४,७८८,९६०,९६२,११६८,११९४, | वलय (मोहणिज्जकम्मणाम) १४८५ ११९५,१२१२,१२६२,१२७०,१३२३,१३२४,१३३१,१३३३, वलय (वणस्सइभेय) १३०,१८५,१९० १५२४,१५२७,१५४९,१५९५,१६०६,१६५३,१६७६,१६८२, वलयमरण २१४०,२१४३ १७२६-१७२८,१७३४,१७३७-१७४१,१७४३-१७४७, | वल्लिपलंबकोरव १८३८ १९९४,१९९७,२००५,२००९,२०११,२०२१,२०४८,२०५०, | वल्ली (वणस्सई) १८५,१८८,१८९ २०५१,२०५३,२०५५,२०७१,२१२५,२१४८,२१४९,२२४५, ववहार (नयभेद) १०८० २२५९,२२७९,२३००,२३१३,२३१४,२३२०,२३३० ववहारसच्चा (पज्जत्तियासच्चाभासा) ७१२ वणस्सइकाइयएगिंदियजीवनिव्वत्ती १५१ वसट्टमरण २१४०,२१४३ वणस्सइकाइयओगाहणा ५७६ वह (परीसह) १५०७ वणस्सइकाइयनिव्वत्तिय (पोग्गल) | वहण (पाणवहपज्जवणाम) १३५३ वण्णस्सइकाल ३०३-३०७,३६८,५७४,७३१,७४४,७८३, वाइय (वाही) २५९३ १४३६-१४३९ वाई (णेउणियपुरिसपगार) १८८३ वणस्सइजीव १७५४ वाउ १२७०,१३२३,१३२७,१३२८,१५९५,१६७६ वणस्सइजीवसरीर १४७ वाउकाइय १०,५२,५८,१४५,१६०,१६२,१७७,१७९, वण्ण १४,४१,९६,२३४६,२४०० २९९,३०५,३०६,३१७,३२६,३४४,४०४,४८४,४८५,५६२,७०८, वण्ण (वर्णवाद) १४९२ १४२७,१५२४,१६०६,१७२६,१७३०,१७३४,१७३७-१७३९, वण्णकरण २४०० २०११,२०२१,२०६९,२०७०,२१४७,२१४९,२४३२ वण्णचरिम २३४८ वाउकाइयनिव्वत्तिय (पोग्गल) १५११ वण्णणाम (कम्म) १५००,१५०५,१५०६ वाउक्काइय १८४,२७८,२९२,२९७,३०१,३०९,६७१,७५४, वण्णनिव्वत्ती २८८,२४९९ वण्णपरिणय २४७७,२४८५ ११९६,१२१२,१२६३,१३२९,१५२७,१७२८,२२४५,२२५९, वण्णपरिणाम २३०९,२३२४,२३३० १२५,१२७,२४०१ वाउजीव १७५४ वण्णमंत ४३,४९४ वण्णमंत (देवआहार) वाऊ १२३,३७०,११९४,१४२६,१९९७ वण्ही (लोगंतियदेवनाम) वाणमंतर १२,५२,६१,८७,१२५,१४५,१७७,१७८,२३०, वत्त (गीतगुण) २३१,२३४,२३६,२३८,२४०,२४१,२४६,२६२,२७०,२७९,२८३, १०३६ वत्तणा २८५,२८७,२९१,२९५,२९६,३११,३६६,३७१,३७२,३७४, वत्तमाणुपय (सूत्रभेद) ८७२ ४९२,५०३,५१७,५६३,५७१,६०४,६३०,६३६,६६५,६७१,६९९, वत्तव्वया (उवक्कमभेद) १००१,१०६२ ७४७,७६२,७७७,७७९,७९१,९१९-९२४,९५८,९६१,९८९,१३२४, वत्थ १४६५ १३२८-१३३०,१३३५,१३३६,१३४३,१३४५,१४२६,१५१८वस्थपुण्ण २६०२ १५२०,१५२५,१५५०,१५६२,१५९६,१५९८,१६०८,१६५७, वत्थुदोस (वाददोस) ९९२ १६७१,१६७२,१६८७,१६९७,१९४०,१९४३,१९६४,१९६७, वत्थुविण्णास (सचित्तदब्बोवक्कम) ९९९ २००९,२०१२,२०२४,२०२६,२०४०,२०४७,२०७२,२११२, वत्थू ८७३,८७४,८७६ २१९२,२२८५,२३१७,२३३२,२४३३,२४९६ वप्पिण | वाणमंतरदेव १०८७,११६९,११७४,११७५,११८३,११८४,११९४ वय (व्रत) १३२६ ११९६,१२१८,१२२०,१२३८,१२४३,१२४६,१२६३,१२६४, वयजोग १५१९ २२५३,२२५७,२२७४-२२७६ वयजोगी २५२,३६२,७३७,७३८,७४३,१५५८ वाणमंतरदेवपवेसणय २१०६ वयण (सुयपरियायसद्द) वाणमंतरदेवपंचिंदियपओगपरिणय (पोग्गल) २४६६ वयणविकप्प २६०१ वाणमंतरदेवाउय १६०२,१६०४ वयणविभत्ती वाणियगाम (नगरनाम) १९१२ वरण (जणवय) वातखंध १३० वरभवण (सरीरलक्खण) १८९० वामण (संठाण) ६०१,६६४,२२१३ ४७९ १४ २८२ १०३८ २१९ Jain Education International P-89 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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