Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 688
________________ पृष्ठ नं. ७४१ ७६२ ८११ २८३ | सच्चा प २१७ शब्द पृष्ठ नं. | शब्द सच्चमणनिव्वत्ती सइंदिय १५७,१७८,६८६-६८८,६९०,९६०,९६३,९७२, सच्चमणप्पओग ७५०,७५२ १७५४,२१२०,२१६८,२१८२, | सच्चमणप्पओगगई सई (आभिणिबोहियनाणपज्जव) सच्चमणप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७९,२४८६,२४८८ सकसाई १५७,३१७,५२०,९४९,९५३,९७२,१४७१, सच्चमणप्पओगी ७५३,७५४ १५१६,१५२६ सच्चमणमीसापरिणय (पोग्गल) २४८४ सकसायभाव ३६० सच्चरूव १८०५ सकसायी ११०८,११३८,११३९,१३४२,१३४४, सच्चवइजोग २३४१ १४७२,१५१७,२३५१ सच्चवइजोय सकाइय १५७,२९७,३४३,३४७,९६०,९६१,९७२ सच्चवइप्पओग ७५० सकाइयअपज्जत्तय २९८,३४४,३४७ | सच्चवइप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७९ सक्क (देविंदनाम) १९११ सच्चववहार १६०६,१६०७ सक्करप्पभापुढविनेरइयप्पवेसणग २१०१ सच्चसीलाचार १८०६ सक्करापुढवी १८० सच्चसंकप्प १८०५,१८०६ सक्कार | सच्चा (पज्जत्तियाभासा) ८११ सक्कारपुरक्कार (परीसह) १५०८ | सच्चामोस (भासाजात) ७१२,७१३,७१६ सक्कारासंसप्पओग २६०५ | सच्चामोस (मणपगार) सक्कुलिकण्ण (अंतरदीवय) सच्चामोसभासग ७३१ सगड सच्चामोसभासाकरण सगल सच्चामोसभासानिव्वत्ती सम्गकामय २११९ सच्चामोसमणजोग २३४१ सग्गकंखिय २११९ सच्चामोसमणजोय सग्गपिवासिय २११९ | सच्चामोसमणप्पओग ७५०,७५२ सचित्त ६५५,७४०,७४२ | सच्चामोसमणप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७८,२४७९, सचित्त (उवही) २८८ २४८६,२४८८ सचित्त (जोणि) सच्चामोसमणमीसापरिणय (पोग्गल) २४८४ सचित्तजोणिय सच्चामोसवइजोग २३४१ सचित्तदव्वखंध २५५१ सच्चामोसवइजोय सचित्तदवोवक्कम | सच्चामोसवइप्पओग ७५० सच्च सच्चामोसा (अपज्जत्तियाभासा) ७१२ सच्च (भासाजात) ७१३,७१७ सच्चोवाय सच्च (मणपगार) सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिय २२७ सच्च (पुरिसपगार) १८०५-१८०७ सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायदसणारिय २२३,२२४ सच्चदिट्ठी १८०६ सजोगिभवत्थकेवलनाण ९२८,९२९ सच्चपण्ण १८०६ सजोगिभवत्थकेवलि अणाहारग ५२७ सच्चपरक्कम १८०७ | सजोगी १५७,३१७,३६२,५२१,७४३,७४४,९४८, सच्चपरिणय १८०५ | ९५२,९७२,११०८,११३८,११३९,१३४२,१३४४,१५१६,१५१७ सच्चप्पवाय (पूर्व) ८७२ सजोगीकेवली (जीवट्ठाण) सच्चभासग ७३१ सजोगीभाव सच्चभासाकरण सज्ज (स्वरभेद) सच्चभासानिव्वत्ती ७२९ सज्जगाम (स्वरग्रामप्रकार) १०३४ सच्चमण १८०५ सट्ठाण २४,२९,६५,६६-७५,७८,७९,८०,८४-८७,९६, सच्चमणजोग २३४१ ९८,१०५-१११ सच्चमणजोय ७३६ | सढ (मुसावायपज्जवणाम) १३६८ P-93 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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